नमस्कार दोस्तों! Thekrishi में आप सभी का स्वागत है।
महत्व- मेथी एक शाकीय पौधा है जो भारत में शाक एवं मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। मेथी के दानों से खाने में पौष्टिकता के साथ साथ सुगंध ट्रैगोनिल नाम के रसायन के कारण होती है । इसकी फलियों एवं पौधे के तने एवं पत्तियों को सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है।
जलवायु ) मेथी की अच्छी पैदावार करने के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है। इसकी वानस्पतिक वृद्धि के समय लंबे ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है यह पाले को भी सहन कर लेती है।
भूमि की तैयारी ) मेथी की अच्छी पैदावार एवं वृद्धि के लिए दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। जिसमें अच्छी उर्वरा शक्ति तथा उचित जल निकास होना चाहिए।
भूमि की तैयारी करते समय मिट्टी पलटने वाले हल से पहले जुताई करते हैं इसके बाद कल्टीवेटर से जुताई करके पाटा लगा देते हैं।
उन्नत किस्में_ मेथी की उन्नत किस्में निम्न है
◆ पूसा अर्ली बंचिंग – इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में किया गया है ।यह अगेती किस्म बुवाई से बीज बनने तक 125 दिन का समय लेती है।
◆ प्रभा – इसके पौधे सीमित रूप से झुके होते हैं। यह किस्म रोग व कीड़ों के प्रति अवरोधी है तथा इसके उपज क्षमता अच्छी है।
◆ कसूरी मेथी_ इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली से किया गया है। यह देर से तैयार होने वाली किस्म है । इसमें बुवाई से लेकर बीज बनने तक 156 दिन लगते हैं।
◆ IC 74- इस किस्म के पौधे सीधे बढ़ने वाले होते हैं ।जिनमें काफी शाखाएं होती हैं। इसे पत्ती तथा बीज दोनों के लिए उगाया जाता है।
◆ बरबरा – यह एक सीधी बढ़ने वाली किस्म है। इसके बीज पीले रंग के होते हैं और ट्राईगोंनेलिन की काफी मात्रा पाई जाती है।
◆ बुवाई – मेथी की बुवाई उत्तरी भारत के मैदानी भागों में अक्टूबर से नवंबर के मध्य तक करते हैं। इसकी पत्तियां प्राप्त करने के लिए जून-जुलाई तथा फरवरी में बुवाई कर सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी बुवाई का उचित समय मार्च-अप्रैल होता है।
◆ बीज की मात्रा – सामान्य रूप से मेथी का 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई करते हैं जबकि कसूरी किस्म में 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।
◆ खाद एवं उर्वरक – मेथी की अच्छी पैदावार लेने के लिए पहली जुताई के समय 20 से 30 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट डालते हैं । इसमें नत्रजन की मात्रा 30 किलो प्रति हेक्टेयर , फास्फोरस की मात्रा 40 किलो प्रति हेक्टेयर तथा पोटाश की मात्रा 50 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालते हैं ।जिस में नत्रजन की आधी मात्रा फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय डालते हैं तथा नत्रजन की आधी मात्रा को द्वितीय  सिंचाई के समय डालते हैं।
◆ सिंचाई – मेथी की अच्छी पैदावार एवं जमाव हेतु खेत में पर्याप्त नमी का होना बहुत ही आवश्यक है। खेत में यदि नमी की कमी हो तो हल्की सिंचाई करनी चाहिए। शेष सिंचाई आवश्यकता अनुसार अथवा 10-15 दिन के अंतराल पर करते रहना चाहिए।
◆ निराई गुड़ाई – मेथी में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करने से अधिक उपज मिलती है। इसके सिंचाई के बाद जब मिट्टी गीली ना हो तब हल्की गुड़ाई करते हैं।
◆ बीमारी एवं कीट ; – फसल में अधिकतर जड़ गलन, पूर्ण चूर्णिता, डाउनी मिल्डयू बीमारियों का प्रकोप होता है। जड़ गलन के लिए बीज बोने से पूर्व 2 ग्राम कार्बान्डाजिम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करते हैं। पूर्णचूर्णिता के लिए सल्फर कवकनाशी का प्रयोग करते हैं। इसे 0.5% गंधक के घोल के प्रयोग से नियंत्रित किया जा सकता है।
◆ इसमें एफिड, थ्रिप्स एवं पत्ती काटने वाले केटरपिलर का प्रकोप होता है। इनके प्रकोप को रोकने के लिए डाइमेथिएट 3 मिली प्रति लीटर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर या 0.5 मिली फॉस्फोमीडॉन प्रति लीटर पानी के घोल को 500-600 लीटर के हिसाब से प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करते हैं।
◆ कटाई – सामान्यत: मेथी की बुवाई के लगभग 4 सप्ताह बाद पहली कटाई करते हैं। मेथी के पौधों को भूमि के काफी निकट से काटते हैं। इसके उपरांत 4-6 कटाइयों के बाद उखाड़ कर गुच्छों में बांधकर बाजार में भेज देते हैं। यदि बीज उत्पादन लेना होता है तो मेथी को जड़ से उखाड़ने नहीं है।
◆ उपज – मेथी की उपज भूमि की उर्वरता एवं मेथी की किस्म वह फसल की देखभाल पर निर्भर करती है ।मेथी की सामान्य किस्म से 70-80 कुंतल प्रति हेक्टेयर साग हरी सब्जी मिल जाता है जबकि कसूरी मेथी से 90-100 कुंतल प्रति हेक्टेयर साग मिल जाता है और 6-7 कुंतल सूखे दाने प्राप्त होते हैं।
◆ बीज उत्पादन – मेथी की दोनों प्रकार की किस्म का बीज खूब बनता है। फसल को बिना पत्तियों को काटे बीज उत्पादन हेतु बढ़ने दिया जाता है। इससे अतिरिक्त लाभ लेने के लिए बीज उत्पादन हेतु पौधों को बढ़ने देने से पूर्व कसूरी मेथी से 2 तथा सामान्य मेथी से तीन बार सब्जी हेतु पत्तियों की कटाई की जा सकती है। इसी प्रकार उगाई गई सामान्य फसल से 1500 से 1900 किलो और कसूरी मेथी से लगभग 750 किलो बीज प्रति हेक्टेयर मिलता है। बीज के लिए उगाई गई सामान्य एंव कसूरी मेथी 155 165 दिनों में तैयार हो जाती है।