बीज उपचार एक कम लागत उत्पादन तकनीक है, जिसके उपयोग से बीज जनित एवं मृदाजनित रोगों से फसल को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। कोई सूक्ष्म रोगाणु बीज के अन्दर या बीज के बहरी सतह पर उपस्थित रहते हैं, जिन्हें आँखों से नहीं देखा जा सकता है परन्तु पौधे की बढ़वार के साथ-साथ ये रोगाणु भी बढ़ते हैं और विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ पैदा करते हैं, जिससे न केवल पौधों की संख्या बल्कि उपज में भी भारी कमी आती है। यदि बुवाई से पहले बीजों को अनुमोदित दवा की निर्धारित मात्रा से उपचारित किया जाए तो बीजजनित एवं मृदा जनित रोगों से पौधों का बचाव किया जा सकता है और किसान कम लागत में अच्छी फसल पैदा करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।

बीज उपचार करने की विधि

बीज उपचार करने के लिए भौतिक, रासयनिक तथा जैविक विधि का प्रयोग किया जाता है।

सूर्यताप द्वारा बीजोपचार – बीज के आंतरिक भाग में रोगजनक को नष्ट करने के लिए रोगजनक की सुषुप्तावस्था को तोड़ना होता है, जिसके बाद रोगजनक बिल्कुल नाजुक अवस्था में आ जाता है, जिसे सूर्य की गर्मी द्वारा नष्ट किया जा सकता है। इस विधि में बीज को पहले पानी में 3-4 घंटे भिगोते है और फिर सूर्य ताप में 4 घंटे तक रखते है, जिससे बीज के आंतरिक भाग में उपस्थित रोगजनक का कवकजाल नष्ट हो जाता है।

 

जैविक बीज उपचार

रोगजनकों का विनाश करने वाले जीव जैसे ; ट्राइकोडर्मा विरडी, ट्राइकोडर्मा हरजीनियम तथा स्यूडोमोनास फ्लोरेंसिस प्रमुख हैं। बीज उपचार हेतु सबसे पहले 5 प्रतिशत गुड़ का घोल बनाकर गर्म करते हैं तथा ठण्डा होने पर उपयुक्त सूक्ष्म परजीवों को अनुशंषित मात्रा को मिलाकर घोल को हिलाते हैं। ताकि घोल में सूक्ष्म परजीवों का मिश्रण एक समान हो जाए। इस घोल में बीज को अच्छी तरह से मिलाते हैं तथा छायादार स्थान में सुखाने के पश्चात यथाशीघ्र बुवाई कर देनी चाहिए। किसान भाई यह ध्यान रखें कि यदि बीज पहले से रासायनिक दवाओं से उपचारित हो तो बीजों को पानी से धोने के बाद ही यह उपचार करें।

रासायनिक विधि से उपचार

 

इस विधि से रासायनिक (फफूंनाशक, कीटनाशक) दवाओं का प्रयोग किया जाता है।

फफूंनाशक

बीज को फफूंदजनित रोगों से बचाव के लिए

कर्बेंडाजिम या मैंकोजेब, कैप्टान या थीरम,आदि दवाओं का प्रयोग किया जाता है।

बीज को भूमिगत कीटों से बचाव के लिए 

क्लोरपायरीफॉस, इमीडाक्लोप्रीड या थायोमेथाक्सम, आदि  दवाओं का प्रयोग किया जाता है।

अनुशंसित मात्रा की दवा के साथ बीज को बीज उपचार ड्रम (सीड ड्रेसिंग ड्रम) में डालकर अच्छी तरह से हिलाएं ताकि दवा के कण प्रत्येक बीज पर चिपक जाएं। यदि बीज की मात्रा कम हो तो सीड ड्रेसिंग ड्रम की जगह डिब्बा या मिट्टी के घड़े का प्रयोग कर सकते हैं। ध्यान रखें कि सीड ड्रेसिंग ड्रम या डिब्बा या मिट्टी के में बीज की मात्रा 2/3 भाग से अधिक न हो।

बीज उपचार करते समय सावधानियाँ

  1. बीज का उपचार रसायन की निर्धारित मात्रा से ही करें।
  2. रसायनों के प्रयोग से पहले समाप्ति तिथि अवश्य देख लें।
  3. उपचार के उपरांत डिब्बों अथवा थैलों को मिट्टी में अवश्य दबा दें।
  4. रसायनों को बच्चों एवं मवेशियों से दूर रखें।
  5. बीज उपचार करते समय मुंह पर आवरण मास्क तथा दस्तानों का प्रयोग अवश्य करें।

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