किसान भाइयों, सोयाबीन की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग इस प्रकार हैं-

01.पीला मौजेक रोग

यह रोग सफेद मक्खी से फैलता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं। फसल को इस रोग से बचाने के लिए बीज को थायोमिथोक्साम 30 एफ.एस. 3 ग्राम अथवा इमिडाक्लोप्रिड एफ.एस. 1.25 मिलीलीटर प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। फसल पर सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए बीज को थायोमिथोक्साम 25 डब्ल्यू.जी. का 100 ग्राम को 500 लीटर पानी में घोल कर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

02.कॉलर रॉट

यह मृदा जनित रोग है। इस रोग का प्रकोप प्रारंभिक अवस्था में होता है। अधिक तापमान एवं नमी इस रोग के लिए अनुकूल है। इस रोग के नियंत्रण हेतु गर्मी में गहरी जुताई करें। बीज उपचार के लिए 2 ग्राम थायरम एवं 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपयोग करें। रोगग्रसित पौधे को उखाड़ कर खेत के बहार गड्ढों में दबा या नष्ट कर देना चाहिए। 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में बाविस्टीन का घोल बना कर रोगग्रसित पौधे जंहा से उखाड़े है वहां पर छिडकाव करना चाहिए।

03. फलियों का झुलसा रोग

इस रोग का प्रभाव फलियों में दाने बनने के समय होता है। इस रोग से प्रभावित फलियों का रंग पहले हरा-पीला होता है बाद में काले धब्बे पड़कर फलियाँ सूख जाती हैं। इस रोग के उपचार के लिए फसल पर 2.5 किग्रा डाइथेन जेड-78 को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।

04. गेरुआ या रस्ट

इस रोग का प्रकोप जब लगातार वर्षा होने एवं तापमान कम (22 से 27 डिग्री सेल्सियस) तथा अधिक नमी (आपेक्षिक आर्द्रता 80-90 प्रतिशत) होने पर इस रोग की सम्भावना बढ़ जाती है। तथा रात या सुबह के समय कोहरा रहने पर रोग की तीव्रता बढ जाती है। इस रोग के उपचार के लिए रोगप्रतिरोधी किस्में (इंदिरा सोया-9 तथा फुले कल्याणी आदि) की बुवाई करनी चाहिए। रोगग्रसित पौधे को उखाड़ कर पॉलीथिन में रख कर खेत के बाहर गड्ढे में दबा दें या नष्ट कर देना चाहिए। हेक्साकोनाजोल या प्रोपिकोनाजोल (टिल्ट) दवाईयों में से किसी एक का 7,00 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें तथा 15 दिन दिन के अन्तराल से दूसरा छिडकाव करना चाहिए।

05. चूर्णिल आसिता (पाउडरी मिल्डयू)

इस रोग के लिए 18-24 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है। इस रोग के नियंत्रण हेतु रोगरोधी किस्मों (पी.के. 472, आदि) की बुवाई करनी चाहिए। रोग के लक्षण दिखाई देने पर केराथेन या कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें।