कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन अध्यादेश ; कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता इन अध्यादेशों को संसद में बिल के रूप में पेश किया गया है।

 

 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र से संबंधित विधेयकों को किसानों को आर्थिक आजादी देने वाला बताया। विधेयक के कानून बनाने का सबसे बड़ा फायदा उन छोटे किसानों को मिलेगा जिनकी खेती की जमीन छोटी होने की वजह से उन्हें बड़े निवेशक नहीं मिल पाते।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा भ्रंतिया फैलाई जा रही हैं, कि ये विधेयक किसान विरोधी हैं और उन्हें कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करते, यह  न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म कर देगा, किसानों की भूमि पर पूंजीपतियों का अधिकार होगा। उन्होंने अस्वासन दिया है कि यह विधेयक किसानों के हित के लिए लाया गया है न कि इससे किसानों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं है।

 

कुछ लोगों द्वारा फैलाई जानें वाली भ्रंतिया व उनका निवारण इस प्रकार है

मिथक -1. ये विधेयक किसान विरोधी हैं और उन्हें कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करते

सच्चाई – न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली जारी रहेगी। ये विधेयक तो किसानों के पास उपलब्ध विकल्पों की संख्या में वृद्धि करते हैं।
• किसान खाद्य उत्पाद कंपनियों के साथ अपनी उपज के लिए सीधे समझौते कर सकेंगे।
• खरीददार फसल की अच्छी उपज के लिए आवश्यक साधन या इनपुट प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होगा।

• खरीदार द्वारा उचित कृषि मशीनरी और उपकरणों की व्यवस्था की जाएगी एवं उसे किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और सलाह भी उपलब्ध करानी होगी।

मिथक -2. ये विधेयक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के सुरक्षा जाल से बाहर निकालने की साजिश है

सच्चाई –  न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करते।
MSP प्रणाली पूर्व की तरह जारी रहेगी।

• किसानों को बेहतर कीमत दिलाने में मदद करने के लिए APMC मार्केट यार्ड के बाहर अतिरिक्त व्यापारिक अवसर पैदा कर रहे हैं।

• मोदी सरकार के कार्यकाल में किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भुगतान –
• धान में 2.4 गुना वृद्धि हुई
• गेहूं में 1.77 गुना की वृद्धि हुई

मिथक -3. सरकार किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स के साथ अनुबंध करके खत्म कर देगी

सच्चाई – कई दशकों से कई राज्यों द्वारा अनुबंध खेती लागू की गई है, जैसे पंजाब और पश्चिम बंगाल में पेप्सिको और हरियाणा में SAB Miller.
• पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा ने भी अलग-अलग अनुबंध खेती अधिनियम पारित किए हैं।

• UPA सरकार ने भी अनुबंधित खेती को बढ़ावा दिया और राज्यों को इसे लागू करने के लिए राजी किया।

• अनुबंध केवल उपज पर लागू होगा, जमीन पर नहीं। भूमि पर मालिक/किसान का ही अधिकार होगा।

मिथक -4. सरकार चाहती है कि किसान अपनी जमीनें पूंजीपतियों को बेच दें

 

सच्चाई – कृषि संबंधित विधेयकों में किसानों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गई है।
• किसानों की भूमि की बिक्री, पट्टे या गिरवी रखना पूरी तरह से निषिद्ध है और किसानों की भूमि किसी भी वसूली से सुरक्षित है।
• समस्याओं के निवारण के लिए स्पष्ट समयसीमा के साथ प्रभावी विवाद समाधान तंत्र प्रदान किया गया है।

मिथक -5. केंद्र सरकार विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अधिनियमित APMC कानून को निरस्त कर रही है

सच्चाई – राज्यों की मंडिया पूर्व की भांति कार्य करती रहेंगी, इसके अतिरिक्त भी किसानों को अपनी उपज देश भर में कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता होगी।

• कृषि बाजारों के बाहर हो रहे व्यापार को नए कानून के तहत कवर किया जाएगा।

• APMCs की तुलना में वैकल्पिक ट्रेंडिंग चैनलों के माध्यम से बेहतर कीमत की खोज की सुविधा प्रदान करते हैं।