आइये जानते हैं सितम्बर माह में की जाने वाली कृषि क्रियाओं के बारे में जिन्हें हम ध्यान में रखकर अधिक उत्पादन की प्राप्ति कर सकते हैं।

धान (Paddy)

धान में यदि नत्रजन की तीसरी किस्त नहीं दी गई है तो 30-35 किग्रा यूरिया खेत में शाम के समय बिखेर दें। धान में जल प्रबंध ठीक रखें तथा 2 इंच से अधिक गहरा पानी न ठहरने दें। सिंचाई के पानी की भी समय-समय पर जांच करवाते रहें। सितम्बर में पत्ता लपेट सूंडी़, टिड्डे तथा तनाछेदक का आक्रमण होने की संभावना रहती है। धान में ब्लास्ट रोग में पत्तियों पर आंख के आकार के धब्बे बन जाते हैं। बालियों पर काले धब्बे बन जाते हैं बालियों में दाने बहुत कम या नही बनते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए 200 ग्राम कार्बेंडाजिम 2,00 लीटर में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए।

मक्का (Maize)

मई व जून में बोया गए मक्के में भुट्टे पकने लग गये हैं तथा खडी फसल में भुट्टे तोड़कर सुखा लें तांकि दानें में 17% तक नमी कम हो जाये। तनों को पशुओं के हरे चारे के लिए प्रयोग करना चाहिए। देर से बोई मक्का में सितम्बर में तना छेदक की सूण्डीयाँ तनों में छेंद कर पैदावार कम कर देती है। बचाव के लिए ट्राइको कार्ड का उपयोग करना चाहिए। यदि प्रकोप अधिक दिखाई दे तो कार्बारिल पाउडर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। या कार्बोफ्यूरॉन 3 प्रतिशत दानें या फोरेट 10 प्रतिशत दानें का बुरकाव करना चाहिए।

कपास (Cotton)

• कपास में फूल आने पर नेप्थलीन एसिटिक एसिड का 70 मि.ली.फिर 20 दिन बाद 70 मि.ली.को घोल छिडकने से फूल व टिण्डे गिरते नहीं हैं तथा टिण्डे भी बडे लगते हैं ।

• कपास के पौधों को दीमक, हरा तेला तथा कलियों, फूल व टिण्डों पर अमेरिकन सूण्डी (हेलीओथिस) का आक्रमण होने पर 1 लीटर क्लोरपायरीफॉस या एण्डोसल्फान 200 लीटर पानी में 70 मिली.पत्तों पर चिपकने वाला पदार्थ डालकर छिडकें। देसी कपास सितम्बर में चुनने के लिए तैयार होती है। 10 दिन के अन्दर सूखी व साफ कपास की चुनाई करें। अमेरिकन कपास में अधिक फैलाव को रोकने के लिए 30 मिली. साईकोसिल (70%) को 300 लीटर पानी में घोलकर वोकी आने के समय पर छिडकाव करें। इसके साथ कीटनाशक तथा यूरिया भी मिलाकर छिड़का जा सकता है। यदि खेत में नमी की मात्रा कम हो कपास में आखिरी सिंचाई 33% टिण्डे खुलते समय करनी चाहिए। इसके बाद कपास में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

गन्ना (Sugercane)

गन्ने की बढ़ी फसल को गिरने से बचाने के लिये माह के प्रथम सप्ताह में गन्ने की दो पंक्तियों को आमने-सामने पिछले माह में बांधे गये झुंडों को आपस में मिलाकर बांधना चाहिये।

पाईरिल्ला – पत्तियों से रस चूसकर नुकसान करने वाला प्रमुख कीट है। उपज में 15 से 20 प्रतिशत कमी एवं साथ ही चीनी की मात्रा पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसकी रोकथाम के लिए जल निकासी करें व नत्रजन की कमी न होने दें। प्रारंभिक अवस्था में ग्रसित पत्तियों को निकाल कर नष्ट करें। अधिक प्रकोप की दशा में इमीडाक्लोप्रिड (17.8 प्रतिशत) 200 मि.ली./हैक्टेयर छिड़काव करें।

 

बाजरा (Millet)

बाजरा सितम्बर में पकने की स्थिति में होता है तथा खेत में वर्षा का पानी ठहरना नहीं चाहिए।

सरसों (Mustard)

सरसों की पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-28, पूसा सरसों-27,आदि अगेती किस्मों की बुवाई की जानी चाहिए। सरसों में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले 2.2 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से फ्लूक्लोरोलिन का 600-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

• यदि बुवाई से पहले खरपतवारनाशी का प्रयोग नहीं किया गया है, तो 3.3 लीटर पेंडीमेथलीन 30 EC. को 600-800 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के 1-2 दिन में छिड़काव करना चाहिए।

तिल – फसल काटने में देरी से तिल के दाने झड़ जाते हैं। सितम्बर में जब पोधे पीले पडने लगे तो फसल काटकर बंडल बांधकर सीधा रखें। बंडलों को सुखाकर दो बार झाड़ें तांकि सारे दाने बाहर आ जायें।

दलहनी फसल (Pulses crops)

• मूँग, उडद तथा लोबिया की फसलें पकने की अवस्था में रहती है तथा पत्ते पीले पड़ते ही काट लें तांकि फलिया झड़े नहीं।

• अरहर व सोयाबीन की फसल दाने बनने की अवस्था में हो, खेत में नमी की मात्रा कम होने पर एक हल्की आखिरी सिंचाई कर दें।

• मूंगफली की फसल में फूल आने पर मृदा में नमी की मात्रा कम होने पर सिंचाई
अवश्य करें। जमीन गीली होने पर फलों से निकली सूई जिससे मुंगफली बनती है आसानी से जमीन में चली जाती है। कीड़ों तथा बीमारियों पर नजर रखें।

बरसीम चारा

बरसीम चारे के लिए सर्वोत्तम फसल है जोकि नवम्बर से मई तक चारे की कई कटाईयां की जा सकती है। बीजाई का उचित समय सितम्बर के आखिर सप्ताह से अक्टूबर से पहले सप्ताह तक है। उन्नत किस्मों में वी.एल-1 व वी.एल-10 तथा मैस्कावी है। बरसीम के 10 किग्रा रोगरहित बीज को 1% नमक के घोल में डालकर तैरते हुए बीज फेंक दें तथा नीचे बैठे बीजों को साफ पानी में धोकर फिर राईजोबियम कल्चर से उपचारित करें। शुरुआत में बरसीम की बढ़ोतरी कम होती हैं तथा पहली कटाई में अधिक चारा प्राप्त करने के लिए 700 ग्राम जापानी सरसों व 10 किग्रा जई के बीज को मिलाकर बोयें।

सब्जियां (Vegetables)

सितम्बर माह सब्जियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कुछ खेतों में फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, बैगन, मिर्ची, गाजर, मूली लगे हुए हैं तथा कुछ में लगाने की तैयारी है । इस माह कुछ अन्य सब्जियां भी लगा सकते हैं।

 

फूलगोभी व पत्तागोभी (cauliflower and Cabbage)

अगस्त में बोये गए पौधे इस माह रोपाई योग्य हो गये हैं। रोपण हेतु कतार से कतार की दूरी 40 सेंमी. तथा पौध से पौध की दूरी 30 सेंमी. रखना चाहिए। खेत में 20-25 टन सड़ी हुई गोबर या कम्पोस्ट खाद रोपाई के 3-4 सप्ताह पूर्व अच्छी तरह मिला देना चाहिए। इसके अतिरिक्त 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए। नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा, फास्फोरस तथा पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा अंतिम जुताई या पौध रोपण से पूर्व खेत में अच्छी तरह मिला देना चाहिए तथा शेष आधी नाइट्रोजन की मात्रा को खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना चाहिए। रोपाई के बाद सिंचाई 7-10 दिन बाद करते रना चाहिए।

 

टमाटर (Tomato)

विशेष स्थितियों में टमाटर सितम्बर में बोया जा सकता है यदि पाले से बचाव संभव है। यदि टमाटर की रोपाई अगस्त माह में की गई है, तो रोपाई के 25-30 दिन बाद नत्रजन की दूसरी क़िस्त देनी चाहिए। समय-समय पर हल्की सिंचाई करते रहे। टमाटर में निराई-गुड़ाई अधिक पैदावार के लिए बहुत जरूरी है।

पालक (Beta vulgaris)

पालक की बुवाई का समय सितम्बर से नवम्बर तक होता है। एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 40 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। पालक की बुवाई कतारों में करनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 20-35 सेमी० तथा पौधों से पौधों की दूरी 5-10 सेमी० रखते हैं। बीज की गहराई 1-2 सेमी० रखनी चाहिए

मेथी (Fenugreek)

मेथी की बुवाई सितम्बर के आखिरी सप्ताह में कर देनी चाहिए। इसके अधिक उत्पादन के लिये मेथी की बुंवार्इ कतार में करनी चाहिए। पौधे से पौधे की दूरी 12 सेमी रखनी चाहिए। बीज की गहरार्इ 6 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए।

गाजर, (Carrot)

गाजर की पूसा केसर व पूसा मेघाली, आदि अगेती किस्मों की बुवाई सितम्बर माह में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए 6-7 किग्रा प्रति हैक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई कतारों में मेंड़ बनाकर करें। इन मेड़ो की आपस की दूरी 40-45 सेमी. रखें या छोटी-छोटी क्यारियां बनाकर बोयें। पौधे से पौधे का अन्तर 6.8 सेमी. रखें। बीज को 1.5 सेमी से अधिक गहराई पर नहीं बोना चाहिए। अधिक गहराई से बीज गल जाता है।

मूली (Redish)

मूली की पूसा-चेतकी, पूसा-हिमानी, पूसा-देशी तथा पूसा-रश्मि, आदि किस्मों की बुवाई सितम्बर माह में की जा सकती है। मूली की एक हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई के लिए 8-10 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।

शलजम (Turnip)

पूसा-स्वेती, लाल-4, परपल-टोप, आदि किस्मों की बुवाई सितम्बर माह में की जा सकती है। एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 4-5 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। शलजम की बुवाई कतारों में की जानी चाहिए। कतार-से-कतार की दूरी 30 तथा पौध-से-पौध की दूरी 10-15 सेमी. पर करनी चाहिए।

बागवानी (Gardening)

सितम्बर माह में सदाबहार पेड़ जैसे नींबू जाति के फल, आम, अमरूद बेर, लीची, आदि के पौधे लगाए जा सकते हैं। बाग लगाने से पहले 3 x 3 फुट के गढ्ढ़े खोद लें। गढ्ढ़े के उपर की मिट्टी को बराबर गोबर या कम्पोस्ट खाद के साथ जिप्सम भी डालें। दीमक के खतरे वाले क्षेत्र में 10-20 मिली. क्लोरपॉयरीफास 20 E.C. प्रति गढ्ढ़ा डालें।

बेर – सितम्बर माह में बेर की रोपाई की जा सकती है। बेर का बाग़ 8 x 8 मीटर की दूरी पर लगाया जाना चाहिए। नये पौधे की 17 दिन के अन्तर पर सिंचाई करनी चाहिए। नमी की मात्रा कम होने पर आवश्यक हो तो सितम्बर के माह में बेर के पुराने बागों की भी सिंचाई करें।

अमरूद – अमरुद की इलाहाबादी सफेदा, सरदार तथा इलाहबाद सुर्खा किस्मों को सितम्बर में रोपा जा सकता है। पौधे लगाने के लिए 6×5 मीटर का फासला रखें। यदि पौधे वर्गाकार ढंग से लगाएं हैं तो पौधों का फासला 7 मीटर रखना चाहिए। जड़ों को 25 सेमी. की गहराई पर रखना चाहिए। अमरूद के नये बागों की नियमित सिंचाई करें। अमरूद की फल-मक्खी की रोकथाम के लिए 700 मिली मैलाथियान का 7-10 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें।

फूल – सितम्बर माह में सुन्दर फूलों की बुवाई का भी उपयुक्त समय है। गैंदा के अलावा, कैलेंडुला, बिगोनिया, गुलदाउदी, डहलिया, स्वीट पी, सूरजमुखी, कारनेशन, इत्यादि फूल के लिए क्यारियां अच्छी तरह तैयार करके बुवाई करें ताकिं सर्दियों में सुन्दर फूलों की प्राप्ति हो सके।


3 Comments

Tarun kumar mahto · September 5, 2018 at 9:24 pm

Very good

Pradeep chaurasiya · September 6, 2018 at 3:33 pm

Bindi ki kheti

Mahendra Kumar Sharma · September 19, 2018 at 10:59 am

सर,
मैं केरुँदा के पेड़ लगाना चाहता हूँ।

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