“टमाटर की खेती”
भूमि- किसान भाइयों टमाटर की खेती लगभग प्रत्येक प्रकार की भूमि पर की जा सकती है, फिर भी अच्छे जल निकास वाली एवं चिकनी अधो भूमि वाली बलुई दोमट भूमि टमाटर के लिए सबसे उपयुक्त भूमि होती है।
तैयारी)- 4-5 जुताई करके भूमि भुरभुरी तथा ढेले रहित बना लेनी चाहिए।
जलवायु – टमाटर की फसल के लिए 21-23℃ तापक्रम सबसे उपयुक्त होता है, लेकिन व्यापारिक रूप में वह 18-27℃ तापक्रम में भी उगाया जा सकता है।
प्रजातियां)-
(i) स्वर्णा नवीन- इस प्रजाति की बुवाई जुलाई से सितंबर एवं अप्रैल से मई माह में की जा सकती है, इसकी उपज 600-650 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति जीवाणु जनित उकठा रोग के प्रति सहनशील है।
(ii) स्वर्णा लालिमा- इस प्रजाति की बुवाई जुलाई से सितंबर एंव फरवरी से अप्रैल माह में की जा सकती है
जिसकी उपज क्षमता 600- 700 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है ।यह प्रजाति जीवाणु जनिक उकठा रोग के प्रति सहनशील है।
(iii) काशी अमन- इस प्रजाति की उपज क्षमता 500-600 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है। प्रजाति विषाडु जनिक पर्ण र्कुंचन रोग के प्रति सहनशील है।
(iv) काशी विशेष)- इस प्रजाति की उपज क्षमता 450-600 कुंतल प्रति हैक्टेयर होती है।यह प्रजाति पर्ण कुंचन रोग के प्रति सहनशील है।
बोने का समय)-
(i) शरद ऋतु से जाड़े ऋतु की फसल या अगेती फसल जून-जुलाई में बीज बोकर जुलाई-अगस्त में रोपाई करे।
(ii) बसन्त ऋतु से ग्रीष्म ऋतु की फसल या मुख्य फसल नवम्बर-दिसम्बर में बीज बोकर जनवरी-फरवरी में रोपाई करते हैं।
(iii) पहाड़ी क्षेत्रों के लिये मार्च अप्रैल में बीज बोकर अप्रैल मई में रोपाई करते हैं।
• बीज की मात्रा )- 400 ग्राम से 500 ग्राम बीज एक हैक्टेयर की रोपाई के लिए पर्याप्त होता है।(एक ग्राम बीज में लगभग 300 बीज होते हैं।
• रोपाई)- चार-पांच सप्ताह पुराना पौधा जिसमें 5-6 पत्तियां हो और उसकी ऊँचाई लगभग 10-15 सेमी हो, रोपाई के लिए उपयुक्त होता है।
(ii) शारद से जाड़े की फसल के लिए या अगेती फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 60 से 75 सेमी, पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी रखी जाती है तथा सामान्य रूप से 60×60 सेमी रखी जाती है।
(ii) बसन्त ग्रीष्म या मुख्य फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 60 से 75 सेमी तथा पौधों से पौधों की दूरी 60×45 सेमी रखी जाती है।
किसान भाई रोपाई के समय स्टार्टर घोल या NPK प्रयोग करना चाहिए।
• रोपाई से पहले पौधों की जड़ो को पानी से घुलने के बाद सेरेसान के घोल ।में डुबो लेना चाहिये।
• खाद एवं उर्वरक )- वैज्ञानिकों एवं सफल किसान के अनुसार, एक टमाटर की फसल 16000 किलोग्राम उपज देने वाली, भूमि से 50 किग्रा नत्रजन, 16 किग्रा फास्फोरस, तथा 65 किग्रा पोटाश का ह्वास करती है।इस प्रकार टमाटर की फसल के लिए 100 से 120 किग्रा नत्रजन, 80 किग्रा फॉस्फोरस तथा 80 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है।
• किसान भाइयों नत्रजन उर्वरक की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस तथा पोटाश वाले उर्वरक की पूरी मात्रा का मिश्रण बनाकर अंतिम जुताई के समय भूमि में मिला देना चाहिए।नत्रजन की शेष आधी मात्रा को रोपाई के एक माह बाद खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना चाहिए।
• सिंचाई )- किसान भाइयों टमाटर एक बहुत ही सतर्क रूप से सिंचाई चाहने वाली फसल है। इसकी उचित समय पर सिंचाई करना बहुत ही आवश्यक है। इसमें अधिक सिंचाई तथा कम सिंचाई दोनों ही हानिकारक है। गर्मी में सिंचाई सात दिन के अंतर पर करनी चाहिए। जाड़े की फसल के लिए सिंचाई दस दिन के अंतर पर करनी चाहिए। सूखे की स्थिति के तुरंत बाद अधिक पानी से फल फट जाता है।
• कटाई, छटाई और स्टैकिंग)- बाजार में टमाटर को शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए पौधों की कटाई करके एक तने के रूप में करके स्टेक से बांध देते हैं। इसको सहारा देना भी कहते हैं।इसमें पौधा अधिक बढ़ता है तथा टमाटर बड़ा तथा अधिक पैदावार मिलती है। कटाई-छटाई के बहुत से तरीके हैं परंतु मुख्य रूप से एक तने के रूप में ही करते हैं।
• कटाई)- टमाटर के फल के पकने की अवस्था, उसके उगने के उद्देश्य एवं एक स्थान से भेजे जाने वाले दूसरे स्थान की दूरी के ऊपर निर्भर होती है इसके फलों की तोड़ाई विभिन्न अवस्था में की जाती है।
(1) हरी अवस्था)- अधिक दूरी के बाजारों को भेजने के लिए।
(2) गुलाबी अवस्था)- स्थायी बाजारों के लिए।
(3) पकी हुई अवस्था)- घर के पास सब्जियों के तुरंत प्रयोग के लिए।
(4) पूर्ण पकी हुई अवस्था)- अचार एंव डिब्बो में बंद करने के लिए
• उपज)- इस प्रकार की पैदावार 160-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।

1 Comment

Shailesh Kumar · August 31, 2018 at 6:08 pm

श्रीमान जी मुझे यह जानना है कि स्वर्णा लालिमा टमाटर की खेती में प्रति एक पौध औसतन कितना किलो टमाटर की पैदावार होती है?

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