किसान अपनी फ़सल को बाज़ार किसी भी क़ीमत पर बेच सकने की लिए स्वतंत्र है, लेकिन अगर कोई ख़रीदार नहीं मिला तो सरकार एक न्यूनतम मूल्य पर उसे ख़रीद लेती है। यह ख़रीद का न्यूनतम मूल्य है इससे नीचे उस फ़सल का दाम कभी नहीं गिर सकता है

क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य?

किसानों के हितों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था लागू की जाती है। अगर कभी फसलों की कीमत गिर जाती है, तब भी सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसलों को खरीदती है। भारत सरकार कृष‍ि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर कुछ फसलों के बुवाई सत्र से पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है।

इन मानकों के आधार पर तय किया जाता एमएसपी

1. देश के अलग-अलग इलाकों में किसी खास फसल की प्रति हेक्टेयर लागत।

2. सरकारी और सार्वजनिक एजेंसियों जैसे एफसीआई और नेफेड की स्टोरेज क्षमता।

3. देश के अलग-अलग क्षेत्र में प्रति क्विंटल अनाज को उगाने की लागत।

4. प्रति क्विंटल अनाज उगाने के दौरान होने वाला खर्च और आने वाले अगले एक साल में होने वाला बदलाव।

5. अनाज की प्रति क्विंटल बाजार में कीमत और आगे एक साल में होने वाला औसत बदलाव।

6. किसान जो अनाज बेचता है उसकी कीमत और जो चीजें खरीदता है उसकी कीमत।

7. खेती के दौरान होने वाला खर्च और आने वाले अगले एक साल में होने वाला बदलाव।

8. एक परिवार पर खपत होने वाला अनाज और एक व्यक्ति पर खपत होने वाले अनाज की मात्रा।

9. अनाज के भंडारण, उसको एक जगह से दूसरी जगह पर लाने ले जाने का खर्च, लगने वाला टैक्स, बाजार की मंडियों का टैक्स और अन्य फायदा।

10. विश्व के बाजार में उस अनाज की मांग और उसकी उपलब्धता।

11. अंतरराष्ट्रीय बाजार में उस अनाज की कीमत, आने वाले साल में कीमत में होने वाला बदलाव।

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग देश के अलग-अलग हिस्सों से इन आंकड़ों को इकट्ठा करता है। इन आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए सीपीएसी हर राज्य सरकार से मदद लेता है। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों के कृषि वैज्ञानिक, किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी बात की जाती है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्रालयों, केंद्रीय मंत्रालयों के विभागों, एफसीआई, नेफेड। जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और व्यापारियों के संगठनों से बातचीत कर आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं।

2018-19, में 14 खरीफ फसलों के एमएसपी के

प्रस्तावों को स्वीकृत किया

धान (सामान्य किस्म) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 200 रुपये बढ़ाकर 1,750 रुपये प्रति क्विंटल तथा धान (ग्रेड ए) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 160 रुपये बढ़ाकर 1,750 रुपये प्रति क्विंटल कर किया गया है. मक्का का न्यूनतम मूल्य 1425 रुपये से बढ़ाकर 1,700 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह तुअर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,450 रुपये से बढ़ाकर 5,675 रुपये कर दिया है। उड़द के लिए अब किसानों को 5,400 रुपये के बदले 5600 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे। साथ ही ज्वार का एमएसपी 1700-1725 रुपये से बढ़ाकर 2,430 रुपये कर दिया गया है। उड़़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5400 रुपये के बदले 5600 रुपये होगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक रागी का नया समर्थन मूल्य 2,897 रुपये होगा। अभी इसका समर्थन मूल्य 1900 रुपये क्विंटल है। मूंग के लिए किसानों को 6975 रुपये प्रति 100 किलो मिलेंगे। अभी मूंग का समर्थन मूल्य 5,575 रुपये है। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3050 रुपये से बढ़कर 3,399 रुपये कर दिया है। तिल का MSP 5300 रुपये से बढ़ाकर 6249 रुपये कर दिया गया है। सूरजमूखी के बीज को लिए किसानों को 5,388 रुपये होगा। अभी इसका दाम 4,100 रुपये है। मूंगफली का एमएसपी 4,450 रुपये से बढ़ाकर 4,890 रुपये होगा। रागी का भाव 1900 रुपये से बढ़कर 2,897 रुपये होगा।

 


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