किसान भाइयों मार्केट में हमें मिलावटी खादें बहुधा प्राप्त होती हैं जो कि हमको द्विपक्षीय नुकसान पहुचाती हैं। पहला यह कि उर्वरक को खरीदने में हमारा धन व्यर्थ हो जाता है और दूसरा यह कि असली उर्वरक जो कि हमें अपनी फसल में समयानुसार डालना है वह नहीं पड़ पाता है इसके परिणाम स्वरूप हमको फसल की उपज पर प्रभाव देखने को मिलता है। अतः इन सब बातों से अपना बचाव करने के लिए असली और नकली खाद की पहचान होनी ही चाहिए ताकि हम अपने धन की क्षति से बच सकें, इसलिए आज हम बताने जा रहे हैं किसान किस उर्वरक की गुणवत्ता को कैसे पहचान सकता है।

डीएपी (डाई अमोनियम फास्फेट) की पहचान

डीएपी असली है या नकली इसकी पहचान के लिए डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मसलने पर यदि उसमें से तेज गंध निकले, जिसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझें कि ये डीएपी असली है। किसान भाइयों डीएपी को पहचानने की एक और सरल विधि है- यदि हम डीएपी के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें यदि ये दाने फूल जाते हैं तो समझना चाहिए कि ये असली डीएपी है।

डीएपी की मुख्य पहचान- इसके कठोर दाने ये भूरे- काले एवं बादामी रंग के होते हैं। और नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं।

यूरिया की पहचान

यूरिया के दाने सफेद चमकदार और लगभग समान आकार के कड़े दाने होते हैं। यह पानी में पूरी तरह से घुल जाती है तथा इसके घोल को छूने पर ठंडा लगता है। किसान भाइयों यूरिया को तवे पर गर्म करने से इसके दाने पिघल जाते हैं यदि हम आंच तेज कर दें और इसका कोई अवशेष न बचे तो समझ लें यही असली यूरिया है।

पोटाश की पहचान

किसान भाइयों सफेद तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रण असली पोटाश की मुख्य पहचान है। पोटाश के कुछ दानों पर पानी की कुछ बूंदें डालें यदि यह आपस में नहीं चिपकते हैं तो यह समझना चाहिए कि यह असली पोटाश है। पोटाश के पानी में घुलने पर इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है।

सुपर फॉस्फेट की पहचान

असली सुपर फॉस्फेट के दाने सख्त एवं दानों का रंग भूरा-काला-बादामी होता है। इसके कुछ दानों को गर्म करने पर यदि ये नहीं फूलते हैं तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है। ध्यान रखें कि गर्म करने पर डीएपी के दाने फूल जाते हैं जबकि सुपर फॉस्फेट के नहीं। इस प्रकार इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है। सुपर फॉस्फेट नाखूनों से आसानी से नहीं टूटता है।

जिंक सल्फेट की पहचान

जिंक सल्फेट की असली पहचान ये है कि इसके दाने हल्के सफेद पीले तथा भूरे बारीक कण के आकार के होते हैं। किसान भाइयों जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैग्नीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। भौतिक रूप से सामान्य होने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना कठिन होता है। किसान भाइयों डीएपी के घोल में जिंक सल्फेट के घोल को मिलाने पर थक्केदार घना अवक्षेप बन जाता है। जबकि डीएपी के घोल में मैग्नीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नहीं होता है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *