आइये आज बात करते हैं, फर्रुखाबाद के किसान अभय जी की जो कि भारत के अन्य युवा किसानों के लिए ना सिर्फ एक मिसाल बन चुके हैं, बल्कि सैंकड़ों किसानों की पपीते की खेती में मदद कर उनकी आय बढ़ाने के कार्य में भी जुट गए हैं।

अभय जी पपीते के समृद्ध किसान हैं और उनकी किसानी में ख़ास बात ये है कि पपीते की खुद की वैरायटी तैयार कर रहे हैं जो कि बाजार में उपलब्ध अन्य बीजों से कहीं बेहतर है। आज भारत के अनेक राज्यों में दूर दूर से किसान फेसबुक/व्हाट्सएप्प के माध्यम से अभय जी से उनके द्वारा बनाये गए उन्नत बीज की मांग करते हैं जिसे वे कुरियर के द्वारा किसानों तक पहुंचाते हैं।

आइये, अभय जी के बारे में हम जानेंगे उन्ही की ज़बानी।

नया बीज तैयार करने की प्रेरणा

मैं मुख्य रूप से पपीते की खेती करता हूं जिसको करते हुए मुझे 5 साल हो गए हैं और मैं पपीते की खुद की वैराइटी बना रहा हूं जिसको पूसा की कई किस्मों  को देसी वैरायटी के साथ मिलाकर बनाया गया है। इसका उत्पादन और पपीते का साइज आम वैरायटी के मुकाबले बहुत ही अच्छा रहता है इस वैराइटी में पेड़ लगाने के 8 से 9 महीने बाद उत्पादन शुरू हो जाता है। इसका उत्पादन 40 किलो से 100 किलो तक होता है।

आजकल मार्केट में चलने वाले पपीते की बीज की कीमत आसमान छू रही है – ३ लाख प्रति kg से 5 लाख प्रति kg तक। क्योंकि इतने महगें बीज हर किसान नहीं लगा सकता, इसलिए कुछ समय पहले मैंने भी पूसा की बीज से ही शुरुआत की और फिर अपनी वैराइटी बनाई।

खेती के लिए तयारी

सबसे पहले मैं सारे किसान भाइयों को यही सलाह दूंगा कि वे पपीते या कोई नया फसलों का बीज खरीददारी करके खुद ही नर्सरी बनाना सीखें।

नर्सरी 2 तरह से बना सकते हैं आप
1- डायरेक्ट जमीन पर
2– प्लास्टिक बैग में
आप 30% अच्छी गोबर की खाद और उसमें 70% उपजाऊ मिट्टी लेकर अच्छी तरह मिलाएं साथ ही उसमें npk 12-32- 16 (19:19:19)
इनके साथ जिंक बोरान कैल्शियम आदि तत्व भी मिला लीजिए अब आप की मिट्टी तैयार है जिसको आप बैग में भरकर रख दीजिए उसके बीज को (ट्राइको डर्मा या थीरम) से उपचारित कीजिए।
अब आप बैग में 1 से 2 बीज, 1 से 2 इंच की गहराई में डाल दीजिए उसके बाद उसमें फव्वारे से पानी लगाते रहिए।

40 से 50 दिन में आप की नर्सरी तैयार हो जाएगी। उससे पहले आप खेत में 6 – 6 फीट की दूरी पर अपनी सुविधानुसार खोद लीजिए आप गोबर की खाद जितना उपलब्ध हो उसी हिसाब से गड्ढे के साइज रखिए। कम से कम 1 फीट गहरा और 6 इंच चौड़ा गड्ढा रखते हैं उसमें आप गोबर की खाद और एनपीके(npk) के साथ सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाकर गड्ढे को धूप में ही छोड़ दीजिए और उसमें trickderma मिला हुआ पानी फव्वारे से ही देते रहिए। आप पपीते के साथ मैं कई भी फसल उगा सकते हैं, जैसे कि आम अमरूद, नींबू, केनवा, अनार, गेंदा, गोभी, मटर, प्याज, अदरक, लहसुन, मेथी, धनिया, पालक आदि।

पपीते में पानी –जिस खेत में पपीते की खेती करते हैं उस खेत में पानी के निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। गर्मी में पपीते को पानी लगभग 7से 10 दिन मैं देना पड़ता है और सर्दी में 20 से 30 दिन में। पपीते के फसल में पानी बहुत ज्यादा नहीं लगता, अगर आपके पास ड्रिप सिस्टम है तो उसको उपयोग कीजिए।

पपीते में रोग की रोकथाम – पपीते में अगर निराई-गुड़ाई सही समय से की जाए तो पहले साल में रोग लगने की संभावना कम होती है जिस की रोकथाम के लिए आप नीम आयल और देसी गाय का मूत्र और उसका छाछ भी उपयोग कर सकते हैं रोग लगने पर अच्छी फंगीसाइड और कीट नाशक का इस्तेमाल होता है।

पपीते से मुनाफा-पपीता भी दो तरह से बिकता है एक कच्चा दूसरा पका हुआ Kachche का रेट 3 ₹ प्रति kg से18 ₹ प्रति kg तक और पके की रेट 5 ₹ प्रति kg से18 ₹ प्रति kg तक मिल सकते हैं।

एक एकड़ से मिनिमम दो से तीन लाख का मुनाफा होता है और अगर सब कुछ सही रहे तो यह मुनाफा बढ़ भी जाता है और 1 एकड़ पपीता लगाने की लागत 35000 से ₹50000 है। 

नोट: अभय जी से जुड़ने के लिए तथा उनके द्वारा विकसित इस बीज के लिए नीचे कमेंट करें या thekrishi.com ग्रुप पर संपर्क करें। 

पपीता की अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे -7880496427


8 Comments

Vishav vijay singh dangi · March 29, 2018 at 8:02 pm

Gram post suwakheda doston neemuch

चैनाराम सूथार · April 7, 2018 at 8:27 pm

खेती के लिए

Mohan · April 10, 2018 at 4:20 pm

Please call me

Vijaypal · April 30, 2018 at 2:31 pm

I am Indian farmer

- कृषि और किसान · August 8, 2018 at 8:50 am

[…] […]

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