खेत की तैयारी– 3 -4  जुताइयाँ हैरो हल से या फिर कल्टीवेटर से करके पाटा लगाकर खेत को समतल एवं भुरभुरा खरपतवार रहित तैयार कर लेना चाहिए। दीमक व गुजिया कीटों के नियंत्रण के लिए लिंडेन डस्ट 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई के समय में मिला देना चाहिए।

गेहूं की उन्नत प्रजातियां
गेहूं की 2 प्रजातियां लंबी,जातियां बौनी जातियां
गेहूं समय से बुवाई के लिए( नवंबर माह) में पी० बी ० डब्लू० 502, 550 ,343 बीबीडब्ल्यू 17 यू० पी०  2338, यू० पी ० 2382 आदि
बिलम्ब से बुवाई ( दिसम्बर माह) में WH 711,1021, पी० बी० डब्ल्यू० 373 ,502 राज० 3077, 3765 आदि
नोट- पी० बी० डब्ल्यू ० 343 373, 502, 550,WH 711, यू० पी०  2338 , राज 3765, HD 2733 प्रचलित उत्तम जातियां है।

खाद्य उर्वरक- बौनी जातियों के लिए 120-60 -40 किग्रा प्रति हेक्टेयर N,P,K, देशी व असिंचित दशाओं के लिए उर्वरकों की आधी मात्रा प्रयोग करें। 1/2नाइट्रोजन, फास्फोरस,और पोटाश की पूर्ण मात्रा बोते समय लगायें शेष 1/2 नाइट्रोजन प्रथम सिंचाई पर टॉपड्रेसिंग करें।

बोने का समय- अंकुरण के लिए 20 सेल्सियस से 22 सेल्सियस तापमान सर्वोत्तम रहता है। 7 नवंबर से 25 नवंबर तक उपयुक्त समय 135-145 दिन में तैयार होने वाली जातियां की बुवाई नवंबर माह में पूर्ण करें तथा पछेती जातियों की बुवाई दिसंबर अंत तक कर सकते हैं।

बीज की मात्रा– बौनी जाति का बीज 100kgप्रति हेक्टेयर समय से बुआई करने पर, विलंब होने पर 125 किग्रा प्रति हेक्टेयर देशी लंबी बढ़ने वाली जातियों का बीज 75 – 80  किग्रा प्रति हेक्टेयर डिबलर द्वारा बोने पर 25 – 30 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज को बोने से पूर्व बाविस्टिन या विटावैक्स रसायन से 2.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से शोधित करते हैं।

अन्तरण एवं गहराई- बौनी जातियों की पंक्तियों की दूरी 20 – 22 सेंटीमीटर गहराई 4 -5 सेंटीमीटर ,देशी लंबी जाति 7 – 8 सेंटीमीटर गहरी बोते हैं और पंक्तियों की दूरी 22.5 सेंटीमीटर रखते हैं।

सिंचाई- बौनी जातियों में 20- 25 दिन के अंतराल पर 4-6 सिंचाई करते हैं क्राउन जड़ अवस्था पर( 20 – 25 दिन बाद) दीर्घ संधि अवस्था (बोने के60- 65 दिन बाद)दुग्घावस्था 100 से 105 दिन बाद पर सिंचाई अवश्य करनी चाहिए देसी गेहूं में सिंचाई करते हैं

खरपतवार नियंत्रण- खरपतवारों को खुरपी या हैंड हो की सहायता से 1-2 बार निकाई गुड़ाई करके नियंत्रित किया जा सकता है। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 2, 4 डी0 सोडियम साल्ट 625 ग्राम मात्रा 600 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 35-40 दिन बाद छिड़काव करते हैं। गेहूं का मामा तथा जंगली जई के नियंत्रण के लिए आइसोप्रोट्यूरान (75%) 1 किग्रा प्रति हेक्टेयर भूमि के 30-35 दिन बाद प्रयोग करते हैं।

रोग व कीट नियंत्रण बीज लिप्त बीमारियों जैसे पहाड़ी बंद करनाल बंट कडुवा को नियंत्रित करने के लिय बाविस्टिन या विटावैक्स  2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से शोधित करते हैं। दीमक व गुजिया के नियंत्रण के लिए लिन्डेन डस्ट (1.3%) 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें चूहों के नियंत्रण के लिए जिंक फास्फेट या बेरियम कार्बोनेट से बनी जहरीली गोलियों का प्रयोग करें।

उपज बोनी जातियां 40 – 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर

देसी लंबी जातियां 25 से 30 कुंतल प्रति हेक्टेयर


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