गन्ने की फसल में तमाम प्रकार के रोग लग जाते हैं। जैसे गन्ने का लाल सड़न रोग ,उकठा रोग ,गन्ने का लाल धारी रोग ,
गन्ने का लाल– सड़न रोग के लिए इस बीमारी से ग्रस्त पौधे की पत्तियों के बीच में छोटे-छोटे धब्बे बन जाते हैं और यह धब्बे संपूर्ण पत्ती पर फैल जाती हैं पत्तियां सूख जाती हैं। एवं गुदा लाल रंग का दिखाई देता है। इस पर नियंत्रण के लिए रोगरोधी जातियों को उगना चाहिए स्वास्थ्य बीज बुवाई के लिए प्रयोग करना चाहिए व रोग ग्रस्त फसल की पेड़ी नहीं रखनी चाहिए।
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गन्ने का लाल उकठा रोग – इस रोग से ग्रस्त पौधे आकार में छोटे रह जाते हैं तथा इनकी पत्तियां सूख जाती है इन पौधे का गन्ना पीला पड़ जाता है इस रोग नियंत्रण के लिए लोग प्रभावित खेत से बीज का चुनाव नहीं करना चाहिए। बुवाई से पूर्व बीज को 50 सेल्सियस पर गर्म पानी में दो घंटा पर शोधित करना चाहिए इसके अतिरिक्त कैप्टाफ 50 w की 5 ग्राम मात्रा पानी में घोल बनाकर गन्ने के टुकड़ो को शोधित कर बुवाई करनी चाहिए
लालधारी रोग -इस रोग से प्रभावित गन्ने में लाल धारियां जाती हैं और पौधे पौधों की पत्तियां भी लाल हो जाती हैं इस पर नियंत्रण के लिए रोगी पौधों को उखाड़ कर जला देना चाहिए
कीट एवं उनका नियंत्रण -गन्ने में तमाम प्रकार के कीट लग जाते हैं दीमक शीर्ष बेधक तना बेधक
दीमक वह गन्ने कि आंखों को खा जाती है और जड़ों को भी खा जाती है जिससे पौधा सूख जाता है। इस को नियंत्रण करने के लिए टेफाबान 20E की 2 लीटर मात्रा एक हेक्टेयर खेत में सिंचाई जल के साथ प्रयोग करनी चाहिए
तना बेधक- यह सुण्डी मिट्टी के रंग की होती है यह तने के अंदर घुसकर उसे अंदर से खा जाती है और तना टूट जाता है जिससे संपूर्ण पौधा नष्ट हो जाता है इस को नियंत्रण के लिए मार्शल 25 E की 5 मिली मात्रा1000 लीटर जल में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करन चाहिए।
शीर्ष बेधक- यह सुण्डी पौधे की पत्तियों से प्रवेश कर पौधे के सिर तक पहुंच कर उसे खा जाती हैं जिससे पौधे की सिर्फ बढ़वार रुक जाती है तथा आंखों से पार्श्व बढ़वार प्रारंभ हो जाती है। इस पर नियंत्रण के लिए ग्रीष्मकाल में प्रभावित कल्लो पर सुण्डी के अंडो को नष्ट करना चाहिए तथा फ्यूराडान 36 का छिड़काव आवश्यकता अनुसार करना चाहिए
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Mohanlal khant · April 16, 2018 at 10:27 am
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