केला लगभग सभी जगहों पे उगाया जाता लेकिन केला के लिये बिहार तमिल उत्तर प्रदेशआदि सभी इलाकों में उगाई जाती हैं। और किसान भी अच्छी कमाई कर लेता जहा तक सब
को पता है की  स्वास्थ्य के लिय बहुत लाभकारी फल हैं लगभग सभी सीजन में इस फल को लोग ख़ाते हैं।

 

खेती की तैयारीकेले के खेत को मई के महीने में 3 -4 बार गहरी जुताई वाले हल से करके तैयार कर लिया जाता और खेत को समतल रहित लाइनों में गड्ढे बना लेनी चाहिए जिससे खेत में पानी की आधिक पानी की जमाव ना हो।

पे़ड़ों की रोपाई-केले के पौधा रोपड़ में पुत्तियों की रोपाई की जाती है पुत्तियो का रोपण 15-30 जून तक किया जाता है इन पुत्तियो की पत्तियां काटकर रोपाई तैयार गढ़ढो में करनी चाहिए रोपाई के बाद पानी लगाना आवश्यक हैI

खाद एवम उर्बरक –केले के खेत में गोबर की खाद डालते है गड्ढे में और 20kg नाइट्रोजन 100g सल्फर 150g पोटास देना चाहिए।

सिचाई –सिचाई हम जब केला मेरा रोपाई हो जाती है तो भूमि और जलवायु पे निर्भर करती अगर वर्षा एक दो दिन में नहीं हो रही है तो सिचाई चरण कर देनी चाहिए खास कर अगर ठंडी में सिचाई करते है तो 10-12 दिन और अगर गर्मी में करते है तो 6-7 दिन में करते है।

 

निराई गुड़ाई –केले के खेत आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए जिससे पौधा हराभरा स्वास्थ्य रहे। जिससे उसको हवा और धुप मिल सके। जिससे उत्पादन भी अच्छी मिल सके आदि। 

रोग – केले के खेत में लगे रोग नियंतरण के लिए हमें मोनोक्रोटोफास 1.25 मिलीलीटर प्रति लीटर से छिड़काव करना चाहिए जैसे पर्ण चित्ती या लीफ स्पॉट ,गुच्छा शीर्ष या बन्ची टाप,एन्थ्रक्नोज एवं तनागलन हर्टराट आदि लगते है।

कीट –केले के पैाधे में लगे कीट के लिए हमें फफूंदी नाशक दवाये का इस्तेमाल करना चाहिए I जैसे कीट माहु बीवीं आदि रोग के लिए।

तैयार फल की कटाई –लगभग केले में फूल आने बाद 20-25 दिन बाद उसमे फलियाँ निकल आती जब पूरी फलियाँ निकल आये तो सबसे ऊपर वाले हिस्सा को नर फूल को निकालने के बाद 100 -140 दिन बाद फल तैयार हो जाते है। जब फल में पीला पन आजाये तो फल पक रहा हैं। फिर हम लोग अच्छे धार वाले औजार से उससे काट ले। 

पकाने की बिधि –कैल्शियम कार्बाइडकेले को पकाने अनेक तरीके है जैसे माताए घर में चावल में रखकर पकती है और कुछ लोग आम में एक रासायनिक(कैल्शियम कार्बाइडकेले )का इस्तेमाल करते लेकिन ये जहर होता इससे पके फल को खाने से बहुत हनिया होती हैं। 

उत्पादन –अगर आप इस बिधि से करते है खेती तो एक एकड़ में 300 से 400कुंतल लगभग प्रति हेक्टेयर फल मिल जाता है। 

 


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