आलू में कई प्रकार के रोग लगते हैं। जिससे फसल उत्पादन कम हो पाता है। जिससे किसानो की बहुत ही छति होती है। तो आज हम रोग एवं निंतरण के बारे में बताते जैसे –
आलू का पछेती में झुलसा रोग- यह रोग फाइटोपथोरा इन्फेस्टांस नामक फफूंद के द्वारा फैलता है। इसके कारण पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं। जो बाद में काले पड़ जाते हैं। जिस के नियंत्रण के लिए मास्टर की 2 -2 .5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर जल में घोलकर प्रति सप्ताह छिड़काव करना चाहिए।
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आलू का अगेती झुलसा यह रोग- यह रोग अाल्टरनेरिया सलोनी नामक फफूंद के द्वारा फैलता है। इसके प्रभाव से पत्तियों पर छल्ले नुमा दाग बन जाता है जो अण्डाकार या वृत्ताकार का रूप के होते हैं। बाद में छल्ले काले पड़ जाते हैं। यह रोग निचले पत्तियों से होता हुआ पौधों में ऊपरी पत्तों तक फैल जाता है। इस पर नियंत्रण के लिए रोग रोधी किस्म जैसे कुफरी बादशाह को उगना चाहिए। इसके अलावा कैपटॉप 50 w की 3 ग्राम मात्रा और एकोमिन 3 ग्राम मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर तीन से चार बार छिड़काव करना चाहिए।
आलू मोजेक रोग –इस रोग के प्रकोप से आलू के पौधों की पत्तियों और हरे और पीले रंग के धब्बे बन जाते हैं। यह रोग मक्खियों द्वारा फैलता है। अतः मक्खियों पर नियंत्रण करना आवश्यक होता है। इस रूट पर नियंत्रण करने के लिए शुद्धएवं प्रमाणित बीज का प्रयोग करना चाहिए। अथवा एसाटाफ 75SP की 1.5 ग्राम या रोगोर 30E मिली मात्रा प्रति लीटर की दर से जल में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
कीट नियंत्रण -आलू की फसल में लगने वाले कीटों में कुतरा कीट, माहू कीट, सफेद भृंगक, पर्णफुदका, आलू का पतंगा, सफेद मक्खी,छैना,कीट वा माइट आदि प्रमुख कीट हैं।
कटुआ कीट- इस कीट की सुण्डी प्राया; जमीन के भीतर रहती है। यह रात के समय छोटे पौधों के तनों को जमीन के नीचे से काटकर फसल को नष्ट कर देती हैं। दिन में जमीन के अंदर घुसकर आलू के फलों को खा भी जाती हैं। इस को नियंत्रण करने के लिए मार्शल 25 E की 800 मिली मात्रा को 500 लीटर जल में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
आलू का पर्णफुदका रोग –यह एक बहुत छोटा सा कीट है। इसका पीछे का भाग नुकीला होता है। तथा शेष शरीर इस कीट को कूदने के लिए प्रेरित करता है। यह कीट हरा, भरा या सलेटी भूरा होता है। तथा पत्तियों का रस चूसता रहता है। इस पर नियंत्रण के लिए कोराण्डा की 1 लीटर मात्रा को 500 लीटर जल में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।