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दोस्तों! आज हम बात करेंगे नत्रजन के महत्व, कार्य और पौधों पर उनके प्रभाव के बारे में।

★नत्रजन का महत्व★

किसान भाइयों नत्रजन से पौधों को निम्नलिखित लाभ होते हैं-

01. पौधों की वानस्पतिक वृद्धि तेजी से होती है, परन्तु जड़ों की वृद्धि को मन्द करता है।

02. किसान भाइयों पत्ती में हरे रंग (पर्णहरिम) व प्रोटीन की रचना में नत्रजन का मुख्य स्थान है।

03. पत्ती वाली सब्जियों के गुणों में वृद्धि करती है, पत्तियों में सरसता रहती है।

04. दाने व चारे की फसलों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है व पत्तीदार सब्जियों व चारे को रसदार बनाती है।

05. दाने सुडौल व गूदेदार बनाते हैं।

06. गन्ना गेहूं जौं व जई आदि में कल्ले अधिक फूटते हैं।

07. जैविक कार्बनिक पदार्थ के शीघ्र सड़ाव में सहायक है।

 

 

★अधिक नत्रजन से हानियां★

 

किसान भाइयों अधिक नत्रजन ग्रहणकर पौधे बढ़ते हैं व गिरने लगते हैं। गिरने का मुख्य कारण पौधे की कोमलता है।

02. कोमल पौधों पर कीट-पतंगों व बीमारियों का आक्रमण भी बढ़ जाता है।

03. फसल देर में पकती है क्योंकि अधिक नत्रजन ग्रहण कर फसल काफी समय तक हरी बनी रहती है।

04. अगर मृदा में फास्फोरस और पोटाश की कमी है तो फसल में दाना बहुत देर में बनता है व वजन भी कम होता है।

05. भूसे की मात्रा दाने की अपेक्षा बढ़ती है।

किन्ही किन्ही फसलों में फसलों के गुण भी नत्रजन कम कर देती हैं।

पौधों में कोमलता व कोशिका भित्ति पतली होने के कारण पाला व सूखा सहन करने की शक्ति भी पौधे में कम हो जाती है।

सब्जियों व अन्य फसलों के भंडारण गुणों में कमी आ जाती है।

गन्ने की फसल में अधिक नाइट्रोजन से शक्कर की मात्रा घटती है।

आलू जैसी फसलों में वानस्पतिक वृद्धि अधिक होकर कन्द की पैदावार कम होती है।

 

 

★पौधों में नत्रजन की कमी के लक्षण★

 

01.पौधे बोने रह जाते हैं।

02. पौधे हल्के पीले रंग के दिखाई पड़ते हैं।

03. प्रोटीन प्रतिशतता कम होती है।

04. पौधे की पत्ती के किनारे व नोक झुलसी हुई नजर आती है। पौधों में गतिशीलता होने के कारण चिन्ह पहले पुरानी (निचली) पत्तियों पर आते हैं और फिर ऊपर की ओर नई पत्तियां प्रभावित होती हैं। पुरानी पत्तियां सूखती रहती हैं।

05.नत्रजन की भारी कमी में, पौधे पर फूल नहीं बनते या बहुत कम बन पाते हैं जिससे पौधे की उपज गिर जाती है।

06. कल्ले वाली फसलों में कल्ले कम फूटते हैं।

07. इसकी अत्यधिक कमी से पत्तियों का रंग सफेद हो जाता है।

08. फल वाले वृक्ष में, फल गिरते हैं।

 

 

★नत्रजन की कमी को दूर करने का उपाय★

 

किसान भाइयों नत्रजन की फसलों द्वारा भारी उपयोग की कमी की पूर्ति के लिए हमारे देश में विभिन्न नत्रजन उर्वरक काम में लाए जा रहे हैं। उर्वरकों के प्रयोग से लाभ उठाने के लिए यह आवश्यक है कि इस नत्रजन के उर्वरकों के बारे में हमारी विस्तृत जानकारी हो इनकी पूर्ण जानकारी के लिए यह आवश्यक है कि इनका वर्गीकरण कर लिया जाए-

 

01. यदि फसल की आरंभ की अवस्था में कमी मालूम पड़ गई हो तो अतिरिक्त नत्रजन को देने में काफी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। लंबी अवधि वाली फसलों में नत्रजन की कमी को दूर करने के लिए कम अवधि वाली फसलों की अपेक्षा समय मिल जाता है। नत्रजन उर्वरकों का प्रयोग करें।

 

02.किसान भाइयों से अनुरोध है कि फसल योजना बनाते समय नत्रजन की आवश्यकता मात्रा का निर्धारण करें।

03. किसान भाइयों यदि पौधे में नत्रजन कमी से बहुत नुकसान पहुंच गया हो (पत्तियां भूरे रंग की हो गई हो) तो अतिरिक्त नत्रजन देने से कोई लाभ नहीं है।

04. यदि नत्रजन की कमी पौधे के पकने के समय दिखाई पड़े तो उस समय अतिरिक्त नत्रजन न दें।

 

 

★ नइट्रोजन उर्वरक (प्रतिशत)★

 

• यूरिया- 46

• कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट- 25 तथा 26

• अमोनियम सल्फेट- 20

• अमोनियम सल्फेट नाइट्रेट – 26

• कैल्शियम नाइट्रेट- 15.5

• सोडियम नाइट्रेट – 16

• अमोनिया घोल – 20-25

• अमोनिया अनहाइड्रस – 82

• अमोनियम फास्फेट – 20