नमस्कार किसान भाइयों, आज हम जानेगें बैंगन का लघुपत्र या छोटी पत्ती रोग के लक्षण तथा उपचार के बारे में-
बैंगन का लघुपत्र या छोटी पत्ती रोग
आजकल यह रोग भारत के सभी राज्यों में इस सब्जी की फसल की लाभकारी खेती के लिए एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर रहा है। जब इस रोग का प्रकोप बैंगन के छोटे पौधों पर होता है तो उनमें फूल एवं फल बिल्कुल नहीं बन पाते हैं। इस रोग के कारण फल उपज में अधिक हानि होने की आशंका होती है। इसके अतिरिक्त संक्रमित पौधों पर उत्पन्न फलों से प्राप्त बीजों की अंकुरण क्षमता की हानि भी होती है। पौधों में देर से संक्रमण होने की अपेक्षा शीघ्र संक्रमण होने के फलस्वरूप मूल की लम्बाई तथा ताजा एवं शुष्क में मूलभार घट जाता है।
इस रोग के लक्षण
इस रोग के प्रकोप से पौधे की पत्तियों का आकार छोटा रह जाता है तथा इसके पर्ण वृन्त इतने छोटे रह जाते हैं, कि पत्ती तने से चिपकी हुई दिखाई देती है। यह छोटी-छोटी पत्तियां संकीर्ण, चिकनी, नर्म एवं पीले रंग की होती हैं तथा नई निकलने वाली पत्तियों का आकार और भी छोटा होता है। तने की पर्व या पोरियाँ छोटी रह जाती हैं तथा इसी समय अनेक कक्षीय कलिकाएँ छोटी-छोटी शाखाओं के रूप में वृद्धि करने के लिए उद्दीपित होती हैं और इन छोटी-छोटी संकीर्ण पत्तियां उत्पन्न हो जाती हैं, जिस कारण से संपूर्ण पौधा झाड़ीनुमा दिखाई देने लगता है। प्रायः इन रोगी पौधों पर फूल नहीं बनते हैं और यदि बनते भी हैं तो वह हरे ही बने रहते हैं तथा फल कभी-कभी ही बनते हैं।
रोग प्रबन्ध (Management of Disease)
इस रोग की रोकथाम के लिए निम्न उपाय किये जाने चाहिए-
• जैसे ही खेत में रोगी पौधे दिखाई दें, तो उनको तुरंत उखाड़कर जला देना चाहिए।
• खेतों के आस-पास रोगग्राही खरपतवार परपोषियों का उन्मूलन कर देना चाहिए।
• इस रोग के नियंत्रण के लिए पौधे को लगाने से पहले कार्बोफ्यूरान 2 ग्राम/ली. पानी या थायोमिथाक्जाम 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में 24 घंटे डुबोकर लगायें।
• रोगवाहक कीटों को 0.16% मैलाथियान या डायजिनान अथवा मैटासिस्टॉक्स का छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है।
• सर्वांगी कवकनाशी बेनोमाइल + टेट्रासाइक्लीन का प्रयोग करना चाहिए।
• रोग प्रतिरोधी किस्मों को उगाना चाहिए जैसे- बीबी-7, बिडब्ल्यूआर-12, पन्तरितुराज एवं एच-8 आदि किस्मों की बुवाई करनी चाहिए।
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