किसान भाइयों, आइये जानते हैं अगस्त माह में की जाने वाली कृषि क्रियाओं के बारे में, जिनको ध्यान में रखकर हम अधिक उत्पादन की प्राप्ति कर सकते हैं।

 

धान (Paddy)

धान के खेतों में पानी लगातार भरा रहना चाहिए तथा सप्ताह में एक बार पानी बदल दें। खेतों में नमी की मात्रा बनाए रखना आवश्यक है। शेष बची यूरिया की मात्रा देने से पहले खेत से पानी तथा खरपतवार निकाल देना चाहिए। अगले दिन फिर 2 इंच तक खेतों में पानी भर देना चाहिए।

• यदि जिंक की मात्रा नहीं दी गई है, तो धान की फसल पीली पड़ सकती है तथा पत्तों पर भूरे धब्बे आ जाते हैं। इसके लिए तीन छिड़काव (7 किग्रा जिंक सल्फेट + 27 किग्रा. यूरिया का घोल 100 लीटर पानी) करें। पहला छिड़काव एक महीने बाद तथा फिर 15 दिन के अन्तर पर करें।

• धान में तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए जब खेत में 4.5 सेमी पानी हो प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा कार्बोफ्यूरॉन दवा का प्रयोग करें अथवा क्लोरोपायरीफॉस 20 E.C. दवा 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 60 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

गन्ना (Sugercane)

गन्ना को बाँधने का कार्य इस माह में अवश्य कर लें। इस समय गन्ने की लम्बार्इ लगभग 2 मीटर हो जाती हैं। ध्यान रहे कि बाँधते समय हरी पतितयां एक समूह में न बँधें। इस माह में कीट व बीमारियां लगने का भय रहता है। अतः फसल को कीट तथा रोग के प्रकोप से बचाव करना चाहिए। तथा रोगी पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए।

मक्का (Maize)

मक्का के खेत में, वर्षा का पानी भरा नहीं रहना चाहिए, खेत में पानी भरा रहने से पौधों की वृद्धि पर कुप्रभाव पड़ता है, जिसके फलस्वरूप उपज में कमी आती है। अतः जल-निकास की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। तथा खरपतवारों को खेत से निकालते रहना चाहिए। फसल में यूरिया टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना चाहिए। फसल को कीट तथा रोग के प्रकोप से बचाव करना चाहिए। तथा रोगी पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए।

बाजरा (Pearl Millet)

• बाजरे की बुवाई के 30 दिन बाद कमजोर पोधों को निकालकर लाइन में पौधे- पौधे की दूरी 10-15 सेमी कर देनी चाहिए।

• बाजरें में फुटाव तथा फूल आने की स्थिति के समय खेत में नमी बनाएं रखना चाहिए तथा जल की अतिरिक्त मात्रा को खेत से निकाल देना चाहिए।

• बाजरे की उच्च उत्पादन वाली किस्मों में नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा (40-50 किग्रा) प्रति हेक्टेयर की दर से टॉप ड्रेसिंग कर दें।

दलहनी फसल (Pulses crops)

मूंग, उडद, लोबिया, अरहर, सोयाबीन की फसलों में फूल आने पर मृदा में हल्की नमी बनाये रखना आवश्यक है, इससे फूल नही झडे़गें फलियां अधिक तथा दाने मोटे एवं स्वस्थ्य होते हैं। परंतु खेतों में वर्षा का पानी खड़ा नहीं होना चाहिए तथा जलनिकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

• इन दलहनी फसलों में फलीछेदक कीट का प्रकोप भी इसी महीने होता है। इसके नियंत्रण के लिए जब 70% फलियां आ जाएं तो 600 मिली. एण्डोसल्फान 35 E.C. या 300 मिली.मोनोक्रटोफास 36 एस.एल को 300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव कर सकते हैं।

• इस समय अरहर में उकठा रोग, फाइटोफ्थोरा अंगमारी व पादप बंझा रोग का प्रकोप होता है, इसकी रोकथाम के लिए 2 मिली डाइकोफॉल दवा 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

मूंगफली (Peanut)

मूंगफली में फूल आने की अवस्था में नमी की मात्रा कम होने पर सिंचाई अवश्य करें तथा दूसरी सिंचाई फल लगने पर जरूरी है इससे मूंगफली की सूइयां जमीन में आसानी से घुस जाती है।

सब्जियां (Vegetables)

फूल आने के एक सप्ताह बाद फल उतार लें नहीं तो फल रेशेदार होने से कम कीमत मिलती है। खेत में नमी बनाये रखें तथा २० किग्रा. यूरिया छिड़के। कीडों में फलीछेदक को फूल आने से पहले 500 मिली. मैलाथियान 70 E.C. का छिड़काव करें। स्प्रे करने के 8-10 दिन तक सब्जियों की तुड़ाई नहीं करनी चाहिए। रोग की रोकथाम हेतु स्वथ्य बीज एवं बीजोपचार आवश्यक है।

• कद्दू वर्गीय सब्जियों में मचान बनाकर उस पर बेल चढ़ाने से उपज में वृद्धि होगी व स्वास्थ्य फल प्राप्त होते हैं।

किसी कारणवश बैंगन व टमाटर की पौध की रोपाई जुलाई में नहीं हो पाई है, द्वितीय सप्ताह में इसकी रोपाई अवश्य करें। इस माह में खरपतवार नियंत्रण तथा खेत में उचित नमी बनाये रखें तथा अतिरिक्त पानी का निकास करते रहें। यूरिया रोपाई के 3 सप्ताह बाद देनी चाहिए।

खीरा (Cucumber)

खीरा तथा अन्य सब्जियों में फल छेदक कीटों का प्रकोप होने का खतरा बना रहता है। किसान भाइयों को दवाईयों का छिडकाव समय-समय पर करते रहना चाहिए। परंतु दवाई छिडकने के एक सप्ताह बाद ही फल तोड़े तथा पानी से सब्जी अच्छी तरह धोयें। इस फसल में 1/2 बोरा यूरिया छिटकें इससे फल अच्छे प्राप्त होते हैं।

पत्तागोभी व फूलगोभी

पत्तागोभी व फूलगोभी की अगेती फसल के लिए अगस्त में नर्सरी लगाएं। पत्तागोभी की गोल्डन एकर तथा पूसा मुक्ता व फूलगोभी की पूसा सिंथेटिक, पूसा सुभद्रा तथा पूसा हिमज्योति, आदि किस्मों की बुवाई करनी चाहिए तथा बीज को केप्टान करके बोना चाहिए।

गाजर – मूली (Carrot-Redish)

गाजर – मूली की अगेती फसल के लिए अगस्त में बुवाई कर देनी चाहिए।

बागवानी (Gardening)

नींबू व लीची में गुंटी बाधने के लिए अगस्त माह उचित रहता है। बरसात में बागों में जल निकास तथा खरपतवार नियंत्रण पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए तथा बीमारी फैलने की स्थिति में तुरंत उपचार करें। अगस्त माह के अंत तक पपीते की पौध भी गड़ढ़ों में लगाई जा सकती है। इसके लिए गड्ढ़े, अच्छी मिट्टी व गोबर खाद से उपर तक भर लें तथा दीमक से बचाब के लिए 20 मिली. क्लोरपाइरीफॉस डालें।

• नींबू वर्गीय फलों में रस चूसने वाले आने पर मैलाथियान 2 मिली/लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए।

फूल (flowers)

ग्रीष्म ऋतु के फूलों का समय पूरा हो गया है। इन्हें घीरे-धीरे निकाल दें तथा क्यारियों की खुदाई कर दें। मिट्टी को रोगरहित बनाने के लिए दवाईयां डालें। सर्दियों के फूलों की बीजाई की तैयारी शुरू कर दें।


3 Comments

Yash · August 15, 2018 at 1:05 am

Accha Likha hai

Yash · August 15, 2018 at 1:05 am

Accha Likha hai

Yadu vir singh · August 30, 2018 at 12:47 pm

Kisano ki khushali kay liye yah likh achha hai. Issay jankari hasil kar kheti karna thik hai.

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