धान (Paddy)

• धान में जीवाणु झुलसा रोग, जिसमें पत्तियों के नोक व किनारे सूखने लगते हैं, की रोकथाम के लिए पानी निकालकर एग्रीमाइसीन 75 ग्राम या स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 15 ग्राम व 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

• गन्धीबग, जिसमें कीटों द्वारा बाली का रस चूस लेने के कारण दाने नहीं बनते हैं और प्रभावित बालियां सफेद दिखाई देती हैं, की रोकथाम के लिए मैलाथियान 5 प्रतिशत चूर्ण प्रति हेक्टेयर 25-30 किग्रा की दर से फूल आने के समय बुरकाव करें।

• धान की कटाई से एक सप्ताह पहले खेत से पानी निकाल दें। जब पौधे पीले पड़ने लगे तथा बालियाँ लगभग पक जायें तो कटाई हासिएं या कम्बाइन मशीनों से करें। कटाई देर से करने पर दाने खेत में ही झड़ जाते हैं जिससे उपज में कमी आती है। सूखी फसल की गहाई पैडी थ्रैशर से भी कर सकते हैं। धान को 12% नमी तक सुखाकर भण्डारण करना चाहिए।

 कपास (Cotton)

देशी कपास की चुनाई 8-10 दिन के अन्तर पर करते रहे। अक्टूबर में अमेरिकन कपास भी चुनाई के लिए तैयार है, इसे 17-20 दिन के अन्तर पर चुने व सूखें गोदामों में रखें। यदि चित्तीदार सूंडी, गुलाबी सूंडी का प्रकोप दिखाई दे तो इसकी रोकथाम के लिएक्लोरोन्टिनीपोल या फु्लबेन्डीयमाईड 39.35EC 40ML प्रति एकड़ या इडोक्साकाबो का छिड़काव करें।

 अरहर (Pigeon Pea)

अरहर की फसल में अक्टूबर माह में सिंचाई न करें नहीं तो फसल जल्दी नहीं पकेगी। अरहर में 70% फलियां लगने पर 6,00 मिली. एण्डोसल्फान की 37 EC. मात्रा को 3,00 लीटर पानी में घोलकर छिडकें इससे फली छेदक कीट की रोकथाम हो सकेगी। अरहर की फसल अक्टूबर के अन्त तक पक जाती है।

मूंगफली (Peanut)

मानसून के बाद चेपा मूगफली के पोधों का रस चूसता है जिसकी रोकथाम के लिए 200 मिली. मैलाथियान 70 EC. मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।यदि आवश्यक हो तो मूगफली की फसल में आखिरी सिंचाई कर दें। इससे भरपूर फलियाँ निकलती है व फसल खुदाई भी आसान हो जाती है। बची हुई नमी अगली फसल बोने के काम भी आ जाती है।

 गन्ना (Sugercane)

• शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए अक्टूबर का पहला पखवाड़ा उपयुक्त है। बुवाई के लिए पिछले वर्ष शरद ऋतु में बोए गए गन्ने से बीज प्राप्त करें।
• गन्ने की बुवाई शुद्ध फसल में 75-90 सेमी. तथा आलू, लाही या मसूर के साथ मिलवा फसल में 90 सेमी पर करें।
• एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 60-70 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है।
• बीज उपचार- 250 ग्राम एरीटॉन या 500 ग्राम एगलाल 100 लीटर पानी में घोलकर उससे 25 क्विंटल गन्ने के टुकड़े उपचारित किये जा सकते हैं।

• तिलहन व दलहनी फसलों में बुवाई से पूर्व 250 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर डालें।

 सरसों (Mustard)

• सरसों की उन्नत किस्में पूसा जय किसान, आशीर्वाद, पूसा बोल्ड, लक्ष्मी (आरएच8812), आदि।
• सरसों की फसल को सफेद रोली रोग से बचाव के लिए मेन्कोजेब + मेटालेक्सिल (35 एस.डी.) दवा 6 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।

गेहूं (Wheat)

• गेहूँ सभी प्रकार की कृषि योग्य भूमियों में पैदा हो सकता है परन्तु दोमट से भारी दोमट, जलोढ़ मृदाओ मे गेहूँ की खेती सफलता पूर्वक की जाती है।
• बुआई के लिए जो बीज इस्तेमाल किया जाता है वह रोग मुक्त, प्रमाणित तथा क्षेत्र विशेष के लिए अनुशंषित उन्नत किस्म का होना चाहिए।
• रोगों की रोकथाम के लिए ट्राइकोडर्मा की 4 ग्राम मात्रा 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के साथ प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधन किया जाना चाहिए।

जौं (Barley)

• जौं की बुवाई 20 अक्टूबर से शुरू कर सकते हैं।
• असिंचित क्षेत्रों के लिए के-141, के-560 (हरितिमा), गीतांजलि, लखन तथा ऊसर भूमि के लिए आजाद अच्छी किस्म है।
• प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए 80-100 किग्रा बीज का प्रयोग करें।

 

बरसीम (Berseem)

बरसीम की बुवाई अक्टूबर माह के द्वितीय सप्ताह में करने से अधिक उपज मिलती है। देरी से बुवाई करने से हरे चारे की कटाईयों की संख्या में कमी आती है।
• एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 20 से 25 किग्रा. बीज की आवश्यकता होती है।
• यदि बरसीम के बीज में कासनी के बीज हो तो बीज को 5% नमक के घोल वाले पानी में डुबाना चाहिए। कासनी का बीज हल्का होने के कारण पानी की सतह पर तैरने लगेगा, इन्हे पानी की सतह से छन्नी द्वारा निकाल लेना चाहिए।
• बरसीम के शुद्ध बीज को नमक के घोल वाले पानी से निकालकर 2- 3 बार शुद्ध पानी से धोना चाहिए ।
• बोने से पहले बीजों को एक ग्राम कार्बेनडाजिम + 2 ग्राम थायरम नामक फफूंद नाशक दवा/किग्रा. बीज में मिलाकर उपचारित करना चाहिए। इससे बीज एवं भूमि में स्थित फफूंद जनित रोगों से बीज की सुरक्षा होकर अंकुरण अच्छा होगा।
• इसके बाद बीज को राइजोबियम ट्राइफोलाई नामक कल्चर से 5 ग्राम/किग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। उपचारित बीजों की बुवाई तुरंत करना चाहिए।

चना (Gram)

चना की बुवाई अक्टूबर के द्वितीय एवं तृतीय सप्ताह तक कर देनी चाहिए।
चने के बीज को थायराम 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से शोधित कर लें। इसके बाद चने को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए। 10 किग्रा बीज के लिए एक पैकेट राइजोबियम कल्चर की आवश्यकता पड़ती है। ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से भी उपचारित करें।
पूसा-256, सूर्या (डब्लू सी.जी.-2), अवरोधी, राधे, के.डब्लू.आर.-108, के.जी.डी.-1168 (उकठा रोधी), आदि किस्मों की बुवाई करनी चाहिए।
(i) देशी 75-100 किग्रा प्रति हैक्टेयर (छोटे से मध्यम दाना)
(ii) के. 85-120 किग्रा. प्रति हैक्टेयर
(iii) काबुली 100-125 किग्रा प्रति हैक्टेयर। (बड़ा दाना)

मसूर (Lentil)

मसूर की बुवाई मध्य अक्टूबर से की जानी चाहिए। देर से खाली होने वाले धान के खेतों में खड़ी फसल में ही अक्टूबर के अन्त में बीज छिटक दिया जाता है, जिसे उत्तेरा खेती कहते हैं।
उन्नत किस्म – लेंस -4076 (शिवालिक), के.एस.एल.(K.S.L.)-218, डी.पी.एल.(D.P.L.) -15, पूसा वैभव (L.-4147), आई पी एल. (I.P.L.) -81, आदि।
एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 50 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।
बीज को थायराम या कार्बेन्डाजिम से शोधित कर लें। इसके बाद राइजोबियम कल्चर से उपचारित करके बोना चाहिए

मटर (Pea)

मटर की बुवाई अक्टूबर के द्वितीय सप्ताह से कर सकते हैं।
• इसकी उन्नत किस्में रचना, पन्त मटर-5, के.एफ.पी.डी.-103 (शिखा), के.पी.एम.आर.-144-1 (सपना), स्वाती।
• एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 80-100 किग्रा प्रति हैक्टेयर
एक पैकेट राइजोबियम कल्चर से 10 किग्रा मटर के बीज को उपचारित करके बोना चाहिए।
मटर में जड़ गलन रोग के नियंत्रण के लिये थायरम 1.25 ग्राम एवं ट्राईकोडर्मा 6 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।

सब्जियां (Vegetables)

 आलू (potato)

• अक्टूबर माह में आलू की बुवाई की जा सकती है।
• एक हैक्टेयर के लिए 25-30 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है।
• बीजोपचार – एगलाल 3 प्रतिशत के 250 ग्राम 250 लीटर पानी में घोलकर 1 हैक्टेयर के बीज को शोधित किया जाना चाहिए।

टमाटर (Tomato)

अक्टूबर माह में टमाटर की बुवाई की जा सकती है
एक हैक्टेयर के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है।
• बीज को बोने से पूर्व थायरम या डाइथेन एम- 45 से उपचारित करना चाहिए।
सफेट मक्खी की रोकथाम के लिए नर्सरी में 0.1 प्रतिशत मैलाथियान का छिडकाव करें। पुरानी टमाटर की फसल से रोगग्रस्त पोधे उखाड़कर जला दें। दवाइयों के छिड़कने से पहले फल तोड लें।

फूलगोभी पत्तागोभी (cauliflower and Cabbage)

फूलगोभी पत्तागोभी की फसल 15 अक्टूबर तक नर्सरी में बोई जा सकती है। पुरानी फसल में 10 दिन के अन्तर पर सिंचाई करते रहें। खरपतवार नियंत्रण के लिए एक गुड़ाई भी करें तथा यूरिया की दूसरी किस्त, पहले किस्त के 30-40 दिन बाद दे दें। कीड़ों से बचाव के लिए फूलगोभी पर 0.2% मैलाथियान का छिड़काव करते रहें।

पालक व मैथी (Beta vulgaris, Fenugreek)

अक्टूबर में भी पालक व मैथी की फसल बोई जा सकती है। सितम्बर में बोई गई फसल को 30 दिन बाद काट सकते है तथा हर कटाई के बाद आधा बोरा यूरिया डाल दें। सिंचाई हर सप्ताह करें। कीट-नियंत्रण  के लिए 0.2% मैलाथियान का छिड़काव करें।

गाजर व मूली (Carrot, Redish)

गाजर की पूसा केसर व पूसा मेघाली अक्टूबर माह में बोई जा सकती है। एक हैक्टेय क्षेत्र के लिए 6-8 किग्रा० बीज की आवश्यकता पड़ती है। इसकी बुआई या तो छोटी-छोटी समतल क्यारियों में या 30-40 सेमी० की दूरी पर मेंड पर करते हैं। मूली की जापानी सफ़ेद एवं व्हाईट आइसीकिल किस्म अक्टूबर माह में बोई जाती है। तथा सितम्बर में बोई फसल में आधा बोरा यूरिया डाल दें तथा 10 दिन के अन्तर पर सिंचाई करें। कीट-नियंत्रण के लिए 0.2 प्रतिशत मैलाथियान छिडकें।

मसाले वाली फसलें (spice crops)

धनियाँ (Coriander)

• धनियाँ की उन्नत किस्में – 41, आर.सी.आर.- 438, यू.डी.- 20, आदि।
• एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 15-20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।
• बीज को बोने से पूर्व 2.5 ग्राम बाविस्टिन या 2.5-3 ग्राम थायरम से उपचारित करना चाहिए।

सौंफ (Fennel)

• सोंफ की उन्नत किस्में आर.एफ.101, आर.एफ.125 आदि।
• एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 8-10 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।
• बीज को बोने से पूर्व कर्बेंडाजिम से उपचारित करना चाहिए।

लहसुन (Garlic )

• अक्टूबर के द्वितीय सप्ताह से लहसुन की बुवाई की जा सकती है।
• लहसुन की उन्नत किस्में – टाइप 56-4, को.2, आईसी – 49381, सोलन, एग्री फाउंड व्हाइट (41जी), आदि।
• लहसुन की बुवाई के लिये अच्छी किस्म के स्वस्थ बड़े आकार के आकर्षक कन्दों की कलियों को अलग-अलग करके बुवाई के काम में लें।
• बुवाई हेतु प्रति हेक्टर 500 किग्रा कलियों की आवश्यकता होती है।
• पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 7.5 सेमी रखनी चाहिए।गहराई 5 सेमी पर करें।

प्याज (Onion)

• रबी प्याज की फसल के लिए नर्सरी में बीजों की बुवाई करें।
• उन्नत किस्म – लाल प्याज की किस्में पूसा रेड, नासिक रेड, एग्रीफाउण्ड लाइट रेड, पीली प्याज की किस्म आर.ओ.-1 है।
• एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 10 किग्रा बीज पर्याप्त होता है।

बागवानी (Gardening)

आम – आम के पौधों में इस माह में मिलीबग कीट का आक्रमण होने की संभावना रहती है। अतः शिशु कीटों को पेड़ो पर चढ़ने से रोकने के लिए एल्काथिन (400 गेज) की 30 सेमी चौड़ी पट्टी जमीन से 2 फुट ऊँचाई पर तने के चारों तरफ बांधे एवं ग्रीस का लेप करें। यदि पेड़ों पर मिलीबग चढ़ गये हैं तो डाइमिथोएट 30 ई.सी. 1.5 मिली या ट्राइजोफोस 40 ई.सी. 2 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

बेर – बेर में इस माह यूरिया 600 ग्राम प्रति पौधे के हिसाब से डालकर सिंचाई करें।

पपीता – पपीते को तना गलन रोग से बचाने के लिए खेत में पानी न खड़ा रहने दें। बीमारी फैलने पर 2 ग्राम कैप्टान प्रति लीटर पानी में घोल कर 17 दिन बाद छिडकें।

 नींबू – नींबू में रोगग्रस्त टहनियां काटकर 0.3% कॉपर-ऑक्सीक्लोराइड की स्प्रे करें।

पुष्पोत्पादन (Floriculture)

किसान भाई खेती के साथ-साथ घर के आस-पास फूल भी उगायें। इससे वातावरण को सुंदर बनाने के साथ-साथ मन को भी शांति मिलती है। सितम्बर माह में बीजी नर्सरी से पौध को गमलों या क्यारियों में लगा दें। सर्दियों में खिलने वाले फूलों को अक्टूबर माह में भी बीज सकते है। गुलाब के पौधे की कांट-छांट व गुड़ाई भी करें। गुलदाऊदी पर जल्दी आई कलियों को तोड दें तांकि बाद वाले फूल बडे आकर के हो।

सूरजमुखी (Sunflower)

• सूरजमुखी की बुवाई मध्य अक्टूबर से कर सकते हैं।
• पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 20 सेमी गहराई 3-4 सेमी रखनी चाहिए।
• बुवाई से पूर्व बीज को थीरम या सेरेसान से 3 ग्राम प्रति किग्रा की दर से बीज शोधन कर लेना चाहिए।

ग्लैडियोलस (Gladiolus)

• एक हेक्टेयर रोपाई के लिए लगभग 1.5-2 लाख कन्दों की आवश्यकता होती है।
• ग्लैडियोलस के कन्दों को 2 ग्राम बाविस्टिन 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 10-15 मिनट तक डुबोकर उपचारित करना चाहिए।
• पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20-30 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 20 सेमी 8-10 सेमी की गहराई पर रोपाई करनी चाहिए

 कुसुम (safflower)

• कुसुम की बुवाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह से की जानी चाहिए।
• बीज की मात्रा -15-20 किग्रा बीज प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
• कैप्टान या थीरम 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से बीजोपचार करें।
• पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी व पौध से पौध की दूरी 20-25 सेमी करनी चाहिए। बीज की गहराई 3-4 सेमी से अधिक न हो।

गुलाब – गुलाब के पौधे की कटाई-छंटाई कर कटे भागों पर डाईथेन एम. 45 का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

 पशुपालन (Animal husbandry)

• खुरपका- मुंहपका का टीका अवश्य लगवायें। वर्षा ऋतु में पशुओं के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं। अत: कृमिनाशक दवाओं को पिलाएं।
• नवजात बच्चों को खीस/कोलस्ट्रम अवश्य पिलाएं।
• पशुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध कराएं।
• पशुओं को 50-60 ग्राम खनिज मिश्रण व 20 ग्राम नमक प्रति दिन देना चाहिए।
• गर्भपरीक्षण एवं बांझपन चिकित्सा कराएं तथा गर्म पशुओं को समय से गर्भित कराएं। स्वच्छ दुग्ध उत्पादन हेतु पशुओं, स्वयं, वातावरण तथा बर्तनों की स्वच्छता रखें।

 

 मुर्गीपालन (poultry)

• मुर्गियों/चूजों को पर्याप्त प्रकाश उपलब्ध कराएं। सन्तुलित आहार निर्धारित मात्रा में दें। कृमिनाशक दवा पिलवाएं। बिछावन को नियमित रूप से पलटते रहें।
• रानीखेत बीमारी से बचाव के लिए टीका लगवाएं।


3 Comments

अरूण श्रीवास्तव · October 2, 2018 at 7:55 am

जीरा की बोनी कैसे की जाती है कृपया बिस्तार से जानकारी दे
मै मध्यप्रदेश जिला रायसेन का निवासी हू

    मुनीश अवस्थी · October 3, 2018 at 8:57 am

    Dear, Vibhinn faslon ki Savistar se jankari ke liye abhi Download kre. TheKrishi app https://goo.gl/joFnvV

    Regards

Vijay yadav · October 4, 2018 at 9:00 pm

Aaloo ki paidawar ke liye kya lagana chahiye

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