सरकार ने देश के किसानों को राहत देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में “नई कृषि खरीद नीति” को मंजूरी प्रदान की गई। यह नीति बाजार मूल्‍य के सरकार द्वारा तय दाम से नीचे जाने पर भी किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) को सुनिश्चित करेगी।

इस साल बजट में सरकार ने घोषणा की थी कि वह किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए ‘फूलप्रूफ’ (चूकमुक्त) व्यवस्था बनाएगी। सरकार ने नीति आयोग से केंद्रीय कृषि मंत्रालय और राज्यों के साथ विचार विमर्श करके किसी प्रणाली के बारे में सुझाव देने को कहा था।

 

नई नीति के तहत, राज्यों के पास मौजूदा मूल्य सहायता योजना (पीएसएस) चुनने का विकल्प भी होगा, जिसके अंतर्गत केंद्रीय एजेंसियां, जिंसों की कीमत एमएसपी से कम होने की स्थिति में, एमएसपी नीति के दायरे में आने वाली वस्तुओं को खरीदती हैं।राज्य पीएसएस या पीडीपी चुन सकते हैं या किसानों को एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए खरीद के काम में निजी कंपनियों को साथ कर सकते हैं।

 

तिलहनों की खरीद के लिए भावांतर योजना

नई नीति में राज्य सरकारों को विकल्प होगा कि कीमतें एमएसपी से नीचे जाने पर वह किसानों के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं में से किसी का भी चयन कर सकें। सिर्फ तिलहन किसानों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश की भावांतर भुगतान योजना की तर्ज पर मूल्य कमी भुगतान (पीडीपी) योजना शुरू की गई है। पीडीपी के तहत सरकार किसानों को एमएसपी तथा थोक बाजार में तिलहन के मासिक औसत मूल्य के अंतर का भुगतान करेगी। इस योजना के तहत तिलहनी फसलों की खरीद कुल उत्पादन के 25 फीसदी तक की जायेगी। इसके अलावा राज्यों को तिलहनों की खरीद करने के लिए प्रयोग के तौर पर निजी कंपनियों को साथ लेने का विकल्प दिया गया है।

 

बैंक गारंटी के वास्ते 16,500 करोड़ रुपये का प्रावधान

राधामोहन सिंह ने बताया कि नई खरीद नीति में मूल्य समर्थन योजना, भावांतर योजना के साथ ही निजी खरीद तथा स्टॉकिस्ट खरीद योजना को शामिल किया गया है। इस वर्ष फसलों की खरीद के लिए बैंक गारंटी देने के वास्ते अतिरिक्त 16,550 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जिससे यह गारंटी बढ़कर कुल 45,500 करोड़ रुपये हो जायेगी। इसके अतिरिक्त बजटीय प्रावधान को भी बढ़ाकर 15,053 करोड़ रुपये किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्यों में पायलट परियोजना के रुप में निजी खरीद स्टॉकिस्ट योजना के तहत भी अनाजों की खरीद की जायेगी।

तिलहनों की खरीद के लिए भावांतर योजना

नई नीति में राज्य सरकारों को विकल्प होगा कि कीमतें एमएसपी से नीचे जाने पर वह किसानों के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं में से किसी का भी चयन कर सकें। सिर्फ तिलहन किसानों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश की भावांतर भुगतान योजना की तर्ज पर मूल्य कमी भुगतान (पीडीपी) योजना शुरू की गई है। पीडीपी के तहत सरकार किसानों को एमएसपी तथा थोक बाजार में तिलहन के मासिक औसत मूल्य के अंतर का भुगतान करेगी। इस योजना के तहत तिलहनी फसलों की खरीद कुल उत्पादन के 25 फीसदी तक की जायेगी। इसके अलावा राज्यों को तिलहनों की खरीद करने के लिए प्रयोग के तौर पर निजी कंपनियों को साथ लेने का विकल्प दिया गया है।

अन्य स्कीम भी अपना सकते हैं राज्य

नई खाद्यान्न खरीद नीति के तहत राज्यों के पास मौजूदा मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) चुनने का विकल्प भी होगा, इसके अंतर्गत केंद्रीय एजेंसियां, जिंसों की कीमत एमएसपी से नीचे जाने की स्थिति में करती हैं, तथा केंद्र सरकार इसकी भरपाई करती है।

एफसीआई बड़े पैमाने पर गेहूं और चावल की करती है खरीद

सरकार की खाद्यान्न खरीद एवं वितरण करने वाली नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), पहले से ही राशन की दुकानों और कल्याणकारी योजनाओं के जरिये आपूर्ति करने के लिए एमएसपी पर गेहूं और चावल खरीदती है।

23 फसलों के तय करती है सरकार एमएसपी

न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति के तहत केंद्र सरकार हर साल खरीफ और रबी की 23 फसलों के समर्थन मूल्य तय करती है। सरकार ने जुलाई में धान के एमएसपी में 200 रुपए प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की थी।

एथनॉल के भाव में की बढ़ोतरी

कैबिनेट की बैठक में एक और बड़ा फैसला लिया गया। एथेनॉल के दाम 25 फीसदी बढ़ाने को मंजूरी दी गई। यानि बढ़ोतरी के बाद बी-हैवी मोलासिस (शीरा) से बनने वाले एथनॉल का दाम 52.4 रुपये प्रति लीटर होगा जबकि गन्ना से सीधे बनने वाले एथनॉल का दाम 59 रुपये प्रति लीटर होगा।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार केंद्र सरकार ने एथनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी से इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिसका सीधा फायदा गन्ना किसानों को होगा

 

इसके अलावा, कई अन्‍य किसान, अनुकूल पहल की गई हैं जिनमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं परंपरागत कृषि विकास योजना का क्रियान्‍वयन करना और मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्डों का वितरण करना भी शामिल हैं। खेती की लागत के डेढ़ गुने के फॉर्मूले के आधार पर न्‍यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करने का असाधारण निर्णय भी किसानों के कल्‍याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को प्रतिबिम्‍बित करता है


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