नीम जैविक खेती का महत्वपूर्ण घटक है। यह प्रकृति का अनमोल उपहार है। नीम के वृक्ष का हर भाग औषधीय उपयोगिता रखता है। नीम से तैयार किये गए उत्पादों की कीट नियंत्रण शैली अनोखी है, जिसके कारण नीम से तैयार दवा विश्व की सबसे अच्छी कीट नियंत्रण दवा मानी जा रही है। किसान घर पर भी नीम से कीटनाशक बना सकते हैं।

ऐसे करें तैयार


01. निम्बोली एकत्र करना – निम्बोलियाँ पककर पीली होने लगे तो इन्हें वृक्ष पर ही तोड़ लेना सबसे उत्तम रहता है, इस स्थिति में अजाडिरेक्टिन की मात्रा सर्वाधिक होती है। चूँकि सभी निम्बोलियाँ एक साथ न पककर धीरे-धीरे पकती रहती हैं। अतः आर्थिक दृष्टि से जमीन पर टूटकर पड़ी हुई निम्बोलियों को बीनना उत्तम रहता है। झाड़ू लगाकर निम्बोली एकत्र करना उचित नहीं है क्योंकि इससे बीच में हानिकारक कवकों व जीवाणुओं के संक्रमण का खतरा रहता है जो बाद में चलकर बीज और इसके तेल को खराब करते हैं। अतः चार से सात दिन में एक बार निम्बोलियों की बिनाई कर लेनी चाहिए।

02. छिलका या गुदा छुड़ाना – पूरे फल को सुखाकर संग्रह करना अधिक लाभप्रद है किंतु वर्षा में गूदे युक्त फल को सड़न से बचाकर सुखा पाना लगभग असंभव है अतः निम्बोलियों को पानी में डालकर रगड़ कर धो देते हैं ताकि सभी गूदा व छिलका छूूटकर बीज से अलग हो जाये।

03. बीज सूखाना – उपरोक्त तरीके से प्राप्त बीज को अधिक गर्म सतह पर और अधिक धूप में सुखाना ठीक नहीं किन्तु नमी को जल्द से जल्द सुखाना भी अवश्य है। अतः बीज को टाट, बोरा, कपड़ा या चटाई पर बिछाकर हल्की धूप व छाँया में सुखाना चाहिए। पक्की फर्श, प्लास्टिक शीट, लोहे की शीट धूप में अधिक गर्म हो जाती है अतः इन पर सुखाने से बचें।

04. भण्डारण – अच्छा यह रहता है कि बीज से तेल तीन से छः माह में निकाल लिया जाये, गिरी पुरानी होने पर तेल कम हो जाता है। किंतु यदि इसके भण्डारण की जरूरत पड़े तो इसे धूप, नमी, गर्मी से बचाकर छायादार स्थान में कपड़े या झूट के बोरों या थैैलों में रखें। प्लास्टिक के बरतनों में रखना ठीक नहीं रहता।

उपयोग के तरीके

01. पाउडर बनाकर – नीम के बीज को खूब महीन पीसकर पाउडर बना लें, इसमें बराबर या दुगनी मात्रा में कोई निष्क्रिय पदार्थ जैसे लकड़ी का बुरादा, चावल की भूसी या बालू, मिट्टी मिला लें। इस पाउडर को फसल पर इस ढंग से भुरकें कि यह पत्ती और तने पर चिपक जाये। फसल पल लगे कीड़े इसे खाकर मर जाएंगे। बीज की भांति नीम की खली का पाउडर बिना कुछ मिलाये ही सीधे फसल पर भुरका जा सकता है। नीम की खली यदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो इसे खेत की मिट्टी में बुवाई पूर्व सीधे मिला दें जिससे अनेक प्रकार के मिट्टी में पाये जाने वाले मर जायेगें तथा खेत में यूरिया की बचत होगी।

02. तेल का प्रयोग – नीम के तेल की 5 मिली प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। नीम के तेल को साबुन के साथ पानी में घोलें। एक टंकी (15 लीटर) पानी में एक चम्मच साबुन पाउडर व लगभग 75 से 100 मिली तेल फसल पर छिड़कें। इस घोल के कुछ देर पड़ा रहने पर तेल व पानी अलग-अलग हो जाता है, अतः इसे थोड़ी-थोड़ी देर तक खूब खिलाते रहना चाहिए। ध्यान रखें कि नीम का तेल अधिक मात्रा में एक जगह पत्ती आदि पर पड़ने से उसे जला देता है।

03. पानी में घोलकर – हालांकि शुद्ध रूप में अजाडिरेक्टिन पानी में कम घुलता है, किंतु बीज, गिरी या खली में उपस्थित अजाडिरेक्टिन इनमें उपस्थित अन्य रसायनों के कारण पानी में पूरा का पूरा घुल जाता है। वास्तव में नीम आधारित कीटनाशक बीज या गिरी से फैक्ट्रियों में बनाये जाते हैं, उतने ही कच्चे माल से उतनी ही प्रभावकारी दवा हम घर पर इसे पानी में घोलकर बना सकते हैं।

नीम पदार्थ से पूरी की पूरी दवा घोलकर बाहर निकालने के लिए निम्न तरीका अपनायेे-

• बीज, गिरी या खली को खूब महीन करके रातभर पानी में भीगने दें। अगले दिन सुबह इसको खूब मथकर पतले कपड़े से छान लें। छानने से बचे पदार्थ में पानी मिलाकर मथकर पुनः छाने। ऐसा करने से पदार्थ में स्थित पूरा का पूरा कीटनाशक बाहर निकल आता है।

• पत्ती को पीसकर – यदि नीम का तेल, बीज, गिरी या खली उपलब्ध हो तो नीम की 3 से 4 किलो ताजी पत्तियों को पीसकर 10 लीटर पानी में घोलकर छान लें। यह घोल फसल पर छिड़कने से फसल की अनेक प्रकार की रक्षा करता है।


2 Comments

प्रो०डीसी सारण · October 6, 2018 at 10:22 am

बहुत अच्छा

Uopend kekati · July 28, 2020 at 2:33 pm

नीम,, की, पाउदेड, के,दुकान, बालाघाट,में

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *